Balasaheb Thackeray 7th Death Anniversary: महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिवसेना पार्टी (Shiv Sena) के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे (Bal Thackeray) के सातवें पुण्यतिथि पर मुंबई के शिवाजी मैदान में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है. इस दौरान कई दिग्गज नेता-अभिनेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. इसी कड़ी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) के नेता छगन भुजबल (Chhagan Bhujbal) और जयंत पाटिल (Jayant Patil) ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस दौरान एनसीपी नेता छगन भुजबल ने कहा कि, 'बाला साहेब से बहुत सारी पुरानी यादें जुड़ी हुई हैं. सरकार बनाने की कोशिश सकारात्मक रूप से जारी है. सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे.' वहीं प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, 'बाला साहेब जब बोलते थे लोगों को ताकत मिलती थी. उनको देखने से शक्ति मिलती थी. बाला साहेब कहते थे नाम जपो नाम बड़ा होगा. बाला साहेब की याद कर स्फूर्ति आती है. हिन्दू सम्राट बाला साहेब का आशीर्वाद मिलता रहे. बाला साहेब बोलते थे हिंदुत्व का झंडा लहराता रहना चाहिए. उनके स्मृति हमेशा हमारे साथ रहेगी.'
Mumbai: Nationalist Congress Party (NCP) leader Chhagan Bhujbal and Jayant Patil paid tributes to Shiv Sena's #BalasahebThackeray on his seventh death anniversary, today. #Maharashtra pic.twitter.com/r9VTuP2kd3
— ANI (@ANI) November 17, 2019
बता दें कि साहेब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी, 1926 को पुणे में हुआ था. वे एक प्रसिद्ध पत्रकार और राजनीतिज्ञ और राजनीतिक पार्टी शिवसेना के संस्थापक थे. ठाकरे ने अपने करियर की शुरुआत 1950 के दशक में मुंबई में फ्री प्रेस जर्नल के लिए एक कार्टूनिस्ट के रूप में की थी. उनके कार्टून जापानी दैनिक समाचार पत्र असाही शिंबुन (Asahi Shimbun) और द न्यूयॉर्क टाइम्स (The New York Times) के रविवार संस्करण में भी छपते थे. यह भी पढ़ें- बाला साहेब ठाकरे का 93वां जन्म दिवस, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ रोचक बातें
1960 के दशक में वह तेजी से राजनीति में शामिल हुए. उन्होंने मार्मिक नामक एक साप्ताहिक मराठी पत्रिका की शुरुआत की. जिसे उन्होंने अपने भाई के साथ प्रकाशित किया. इस पत्रिका के जरिए उन्होंने मुंबई में बाहरी लोगों के आकर बसने के खिलाफ लिखा. 1966 में उन्होंने शिवसेना की स्थापना की. साल 2012 में लगातार उनका स्वास्थ्य खराब होने लगा, सांस लेने में दिक्कत के चलते उन्हें 25 जुलाई 2012 को मुम्बई के लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया. 14 नवम्बर 2012 को जब उन्होंने खाना पीना छोड़ दिया तो, उन्हें अस्पताल से छुट्टी दिलाकर उनके निवास पर ले आया गया और घर पर ही इलाज जारी किया गया. 17 नवंबर नवम्बर 2012 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.