लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) के मद्देनजर बिहार (Bihar) में पांचवे चरण का मतदान छह मई को होगा. इस दौरान मधुबनी (Madhubani), हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, सारण और सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होगा. मधुबनी सीट पर मुख्य मुकाबला नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (NDA) और महागठबंधन के बीच है. एनडीए की तरफ से मधुबनी सीट पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने वर्तमान सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के पुत्र अशोक यादव (Ashok Yadav) को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं, महागठबंधन की तरफ से विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के उम्मीदवार बद्री पूर्वे (Badri Purve) चुनावी मैदान में होंगे. इन दोनों के अलावा कांग्रेस (Congress) के टिकट पर दो बार सांसद रहे शकील अहमद (Shakeel Ahmad) भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. वे इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
शकील अहमद इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन महागठबंधन में यह सीट वीआईपी पार्टी के खाते में चली गई. महागठबंधन के उम्मीदवार का हवाला देते हुए शकील अहमद ने कहा कि प्रत्याशी कमजोर है और वह एनडीए के अशोक यादव को रोक नहीं पाएगा. इसलिए मधुबनी के लोगों ने उनसे यहां से चुनाव लड़ने का आग्रह किया. चुनावी विश्लेषकों का कहना है कि महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियों कांग्रेस और आरजेडी के इन दो कद्दावर नेताओं के बागी तेवर से बीजेपी उम्मीदवार को फायदा होने की उम्मीद है. मधुबनी सीट पर सवर्ण मतदाताओं के लिए ‘मोदी फैक्टर’ अहम है. इस सीट पर यादव और मुस्लिम मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है और चुनाव परिणाम पर ब्राह्मण और अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का गहरा असर रहता है.
मधुबनी बिहार के दरभंगा प्रमंडल का एक प्रमुख शहर और जिला है. दरभंगा और मधुबनी को मिथिला संस्कृति का केंद्र माना जाता है. मैथिली और हिंदी यहां की प्रमुख भाषाएं हैं. विश्व प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग और मखाना की पैदावार की वजह से मधुबनी की एक अलग पहचान है. मखाना की खेती करने वाले किसान भूजल स्तर गिरने और मखाना की कम कीमत मिलने की समस्या से परेशान हैं. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: बिहार की हाजीपुर सीट पर पशुपति कुमार पारस को टक्कर दे रहे हैं शिवचंद्र राम
गौरतलब है कि 1952 से 1976 तक मधुबनी जिले के तहत दो सीटें दरभंगा पूर्व और जयनगर सीट थी. 1976 में परिसीमन के बाद झंझारपुर और मधुबनी सीट बनी. दरभंगा पूर्व सीट पर हुए पहले चुनाव में और फिर 1957 में कांग्रेस के अनिरुद्ध सिन्हा जीते थे. 1962 के चुनाव में इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के योगेंद्र झा सांसद चुने गए. 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के शिव चंद्र झा सांसद बने. 1971 में कांग्रेस ने इस सीट से जगन्नाथ मिश्रा को उतारा. वह जीते और बाद में बिहार के मुख्यमंत्री भी बने. जयनगर सीट पर 1952 में कांग्रेस के श्याम नंदन मिश्रा, 1957 में कांग्रेस के यमुना प्रसाद मंडल, 1967 और 1971 के चुनाव में सीपीआई के भोगेन्द्र झा चुनाव जीते.
1976 में परिसीमन हुआ और मधुबनी सीट बनी. 1977 में इस सीट से चौधरी हुकुमदेव नारायण यादव जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते. 1980 में यहां से कांग्रेस के शफ़ीकुल्ला अंसारी जीते लेकिन 4 महीने बाद ही उनका निधन हो गया. मई 1980 में यहां फिर चुनाव हुए और सीपीआई के भोगेंद्र झा जीते. 1984 में यहां से कांग्रेस के मौलाना अब्दुल हन्ना अंसारी जीते. 1989 और 1991 के चुनाव में इस सीट से सीपीआई के टिकट पर फिर भोगेंद्र झा जीते. भोगेन्द्र झा इस सीट पर पांच बार जीते. 1996 में सीपीआई के चतुरानन मिश्र जीते. 1998 और 2004 के चुनाव में कांग्रेस के शकील अहमद ने यहां बाजी मारी. 1999, 2009 और 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा के हुकुमदेव नारायण यादव जीते. यह भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव 2019: बिहार की सारण सीट पर होगा रोचक मुकाबला, राजीव प्रताप रूडी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं तेज प्रताप के ससुर चंद्रिका राय
बता दें कि सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से शुरू हो गए हैं. देशभर की 91 लोकसभा सीटों पर 11 अप्रैल को पहले चरण का मतदान हुआ. दूसरे चरण का मतदान 18 अप्रैल को हुआ, तीसरे चरण का चुनाव 23 अप्रैल को हुआ, चौथे चरण का मतदान 29 अप्रैल को हुआ, पांचवे चरण का चुनाव छह मई, छठे चरण का 12 मई और सातवें व अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होगा. मतगणना 23 मई को होगी.
भाषा इनपुट