PM Memorial Writes to Rahul Gandhi: प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) ने हाल ही में लोकसभा के विपक्ष के नेता राहुल गांधी से एक अनुरोध किया है, जिसमें उन्हें जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखे गए व्यक्तिगत पत्रों को वापस देने की अपील की गई है. यह पत्र भारतीय इतिहास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं, जिसे 2008 में सोनिया गांधी को भेजे गए थे. PMML के सदस्य रिजवान कादरी ने राहुल गांधी से पत्रों को या तो मूल रूप में या फिर डिजिटल/फोटोकॉपी के रूप में प्राप्त करने का अनुरोध किया है.
इस मामले में भाजपा ने भी प्रतिक्रिया दी है. भाजपा सांसद संबित पात्रा ने 'एक्स' पर तंज कसते हुए कहा, "क्या नेहरू जी ने एडविना माउंटबेटन को ऐसा क्या लिखा था, जिसे सेंसर करने की आवश्यकता पड़ी?"
पीएम मेमोरियल ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat: Rizwan Kadri, historian & author and one of the members of the Prime Ministers’ Museum and Library Society (formerly Nehru Memorial Museum and Library) says, "In September 2024, I wrote to Sonia Gandhi requesting that the 51 boxes that were withdrawn… pic.twitter.com/gLl4VM93lB
— ANI (@ANI) December 16, 2024
मामले में भाजपा ने भी दी प्रतिक्रिया
This is intriguing!
From What’s today the Prime Minister’s Museum and Library & formerly Nehru Museum and Library, the then UPA Chairperson Sonia Gandhi took away 51 cartoons of letters written by Nehru to various personalities including “EDWINA MOUNTBATTEN”!
In the recently… pic.twitter.com/2TVwjPUSi3
— Sambit Patra (@sambitswaraj) December 16, 2024
1971 में नेहरू मेमोरियल को सौंपे गए थे पत्र
जानकारी के अनुसार, यह पत्र 1971 में नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय को सौंपे गए थे. इसमें नेहरू और उस समय के प्रमुख व्यक्तित्वों जैसे अल्बर्ट आइंस्टीन, एडविना माउंटबेटन, जयप्रकाश नारायण, अरुणा आसफ अली, विजय लक्ष्मी पंडित, बाबू जगजीवन राम, और गोविंद बल्लभ पंत के बीच की बातचीत शामिल है.
राहुल गांधी से मदद की अपील
रिजवान कादरी ने बताया कि सितंबर 2024 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इन 51 बक्सों को वापस करने या उनकी स्कैन कॉपी प्रदान करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. इसलिए अब राहुल गांधी से मदद की अपील की गई है, ताकि ये महत्वपूर्ण पत्र संग्रहालय को वापस मिल सकें. कहा जा रहा है कि इससे भारतीय इतिहास को गहराई से समझने में मदद मिलेगी.