पता चला उस समय का, जब आधुनिक मानव और निएंडरथल एक दूसरे से मिले थे
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

वैज्ञानिकों को लंबे समय से यह पता था कि निएंडरथल और आधुनिक मानव एक दूसरे से मिले थे, लेकिन ऐसा कब हुआ था यह ठीक से नहीं मालूम था. अब वैज्ञानिक इस जानकारी के करीब पहुंच रहे हैं.मुमकिन है कि करीब 45,000 साल पहले थोड़े समय के लिए आधुनिक मानव और निएंडरथल एक दूसरे से घुले-मिले हों. शोधकर्ताओं ने प्राचीन जींस का अध्ययन कर इस अवधि का ठीक से पता लगाया है. अभी तक इस मिलन की समयरेखा के बारे में जो जानकारी थी, यह अवधि उससे और थोड़ी हाल की है.

आधुनिक मानवों की उत्पत्ति लाखों साल पहले अफ्रीका में हुई और उसके बाद वो धीरे धीरे यूरोप, एशिया और दुनिया के अन्य कोनों में फैल गए. इस दौरान कभी, कहीं रास्ते में उन्हें निएंडरथल भी मिले, दोनों ने मिलकर प्रजनन भी किया और हमारे जेनेटिक कोड पर एक अमिट छाप छोड़ दी.

कैसे जुटाई जा रही है यह जानकारी

वैज्ञानिकों को ठीक से यह नहीं मालूम कि दोनों समूह एक दूसरे से कब और कहां मिले, लेकिन हड्डियों के प्राचीन टुकड़े और जींस अब इस गुत्थी को सुलझाने में वैज्ञानिकों की मदद कर रहे हैं.

अध्ययन 'साइंस एंड नेचर' पत्रिका में छपा है. इसकी सह-लेखक अमेरिका के बर्कले स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रिया मुर्जानी ने बताया, "इन सैंपलों से मिला जेनेटिक डेटा ज्यादा विस्तार से इस तस्वीर को बनाने में हमारी मदद कर रहा है."

विशाल हाथियों का शिकार करते थे निएंडरथल

टाइमलाइन का ठीक से पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने सबसे पुराने मानव आनुवांशिक नमूनों में से कुछ को देखा. यह जीन एक महिला की खोपड़ी में से मिला था, जो चेक गणराज्य में एक पहाड़ी पर मिली थी. वहां से करीब 230 किलोमीटर दूर जर्मनी के रानीस में पाई जाने वाली शुरुआती मानवों की आबादी से मिले हड्डियों के टुकड़ों का भी निरीक्षण किया गया.

उन्हें निएंडरथल के अंश मिले, जिनके मुताबिक प्रजनन करीब 45,000 साल पहले हुआ होगा. एक अलग अध्ययन में शोधकर्ताओं ने हमारे जेनेटिक कोड में पिछले 50,000 सालों में निएंडरथल डीएनए के निशानों को ट्रैक किया.

हममें अभी भी है उनका अंश

उन्हें इम्यूनिटी और मेटाबोलिज्म से संबंधित निएंडरथल जींस मिले. हो सकता है इन्हीं जींस ने शुरुआती इंसानों को अफ्रीका से बाहर जिंदा रहने में और बढ़ने में मदद की हो. हमारे डीएनए में आज भी निएंडरथलों की विरासत मौजूद है.

त्वचा का रंग, बालों का रंग और नाक की बनावट जैसे आज के जेनेटिक निशानों की जड़ें अब विलुप्त हो चुके हमारे पूर्व पड़ोसियों तक जा सकती हैं. हमारे जेनेटिक कोड में डेनिसोवन नाम के एक और विलुप्त इंसानी कजिन के निशान भी हैं.

वो कलाकृति जिसे बनाया था निएंडरथलों ने

स्मिथसोनियन ह्यूमन ओरिजिन्स कार्यक्रम के निदेशक रिक पॉट्स बताते हैं कि भविष्य में होने वाले जेनेटिक अध्ययन इस गुत्थी को सुलझाने में वैज्ञानिकों की मदद कर सकते हैं कि हम किस-किस के डीएनए से बने हैं. उनका कहना है, "वैज्ञानिक अनुसंधान के कई वाकई सम्मोहक क्षेत्रों में से एक है: आखिर हम हैं कौन?

सीके/एसएम (एपी, रॉयटर्स)