नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बात की. पीएम मोदी ने ने कहा कि इसमें सुधार की जरूरत है. प्रधानमंत्री ने विपक्षी दलों पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को लेकर 'झूठ फैलाने' का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि 'आगे चलकर जब ईमानदारी से सोचेंगे तो सभी पछताएंगे'. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड का उद्देश्य चुनाव में काला धन खत्म करना था लेकिन विपक्ष को सिर्फ आरोप लगाकर भाग जाना है. Read Also: मेरे पास देश के विकास के लिए बड़ी योजनाएं हैं... चुनाव से पहले ही PM मोदी ने बता दिया तीसरे कार्यकाल का प्लान.
पीएम मोदी ने कहा, 'अगर चुनावी बांड नहीं होते, तो किसके पास यह पता लगाने की शक्ति होती कि पैसा कहां से आया और कहां से आया." यह चला गया? यह चुनावी बांड की सफलता की कहानी है कि चुनावी बांड थे, इसलिए आपको पैसे का एक निशान मिल रहा है... मेरी चिंता यह है कि मैं कभी नहीं कहता कि निर्णय लेने में कोई कमी नहीं है निर्णय लेना, हम सीखते हैं और सुधार करते हैं. इसमें भी सुधार करना बहुत संभव है. लेकिन आज हमने देश को पूरी तरह से काले धन की ओर धकेल दिया है. इसलिए मैं कहता हूं कि बाद में जब ईमानदारी से सोचेंगे तो सभी को पछताना पड़ेगा.''
इलेक्टोरल बॉन्ड पर PM मोदी
#WATCH | On Opposition leaders, including Rahul Gandhi's, charge on electoral bonds and whether this was a bad decision, PM says, "...If there were no electoral bonds, who would have had the power to find out where the money came from and where it went? This is the success story… pic.twitter.com/JwJva8O7YV
— ANI (@ANI) April 15, 2024
प्रधानमंत्री ने कहा, देशभर में कुल 3000 कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड दान किया था, इन 3000 कंपनियों में से 26 कंपनियां ऐसी थीं जिनके खिलाफ कार्रवाई की गई है...इन 26 में से कुल 16 कंपनियां ऐसी थीं, जिन्होंने जब बॉन्ड खरीदा था. छापे पड़ रहे थे...इन 16 कंपनियों ने जो बॉन्ड खरीदे, उसमें से 37 फीसदी रकम बीजेपी के पास है, विपक्ष के पास 63 फीसदी है.'
पीएम मोदी ने कहा कि अभी इसमें सुधार की अपार संभावनाएं हैं. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं वह काफी पछताएंगे. उन्होंने विपक्षी दलों पर चुनावी बॉन्ड योजना पर झूठ फैलाने का आरोप लगाया.
पीएम मोदी ने कहा कि 2014 के पहले भी चुनावों में खर्चा होता था. तब कौन-सा पैसा कहां से आया और किसने खर्च किया, इसकी जानकारी नहीं मिलती थी. कोई भी सिस्टम परफेक्ट नहीं होता. कमियों को सुधारा जा सकता है.