तेलंगाना इस वक्त बियर संकट से गुजर रहा है. कई कंपनियों ने राज्य को शराब की सप्लाई बंद कर दी है. उद्योग और राज्य सरकार आमने-सामने हैं.भारत के सबसे बड़े बियर उपभोक्ता राज्य तेलंगाना में इस समय शराब उद्योग बड़े संकट का सामना कर रहा है. प्रमुख शराब कंपनियां, जैसे हाइनेकेन की युनाइटेड ब्रुअरी ने राज्य को बकाया भुगतान और पुराने दामों की वजह से सप्लाई रोक दी है. इस कदम ने उद्योग और राज्य सरकार के बीच गहराते तनाव को और बढ़ा दिया है.
उद्योग संगठनों के मुताबिक तेलंगाना सरकार पर शराब कंपनियों का करीब 4,000 करोड़ रुपया बकाया है. इसी वजह से युनाइटेड ब्रुअरी ने तेलंगाना स्टेट बेवरेजेज कॉरपोरेशन लिमिटेड को बियर सप्लाई रोकने का एलान किया. कंपनी की राज्य के बियर बाजार में 70 फीसदी की हिस्सेदारी है. कंपनी का कहना है कि 2019-20 से दाम नहीं बढ़ने के कारण उसे भारी नुकसान हो रहा है. हालांकि कोरोना संकट के दौरान भारत का शराब उद्योग उन चंद उद्योगों में था, जो नुकसान से बचा रहा.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक ब्रुअर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल विनोद गिरी ने कहा है, "तेलंगाना में बियर सप्लायरों के लिए व्यापारिक स्थिरता काफी मुश्किल हो गई है." उन्होंने बताया कि सप्लायरों को हर बियर केस पर 100 रुपये का नुकसान हो रहा है.
भुगतान में देरी का दबाव
उद्योग संगठनों के मुताबिक फरवरी से अगस्त 2024 तक की सप्लाई के लिए कंपनियों को भुगतान नहीं किया गया है. यह बकाया 3,900 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. युनाइटेड ब्रुअरी के सितंबर 2024 तक कुल 2,434 करोड़ के व्यापारिक भुगतान लंबित हैं, जिनमें से 700-800 करोड़ तेलंगाना के लिए हैं.
अंतरराष्ट्रीय शराब और वाइन एसोसिएशन ने तेलंगाना सरकार को अक्टूबर 2024 में एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने बताया कि बकाया भुगतान और निवेश योजनाओं पर इसका गंभीर असर हो रहा है.
तेलंगाना के मंत्री जुपल्ली कृष्णा राव ने युनाइटेड के इस कदम को "दाम बढ़ाने की रणनीति" करार दिया. उन्होंने कहा कि युनाइटेड ब्रुअरी का 606 करोड़ बकाया है. हालांकि उन्होंने अन्य कंपनियों के आंकड़े नहीं दिए.
उद्योग संगठनों का कहना है कि कार्ल्सबर्ग का 40 करोड़ रुपया और एबी इनबेव का 150 करोड़ रुपया बकाया है. वहीं, व्हिस्की और स्कॉच निर्माताओं में पेरनॉड रिकर्ड 1,500 करोड़ और डियाजियो 1,000 करोड़ रुपये मांग रहे हैं.
आर्थिक असर
तेलंगाना को सप्लाई रोकने के इस फैसले के बाद युनाइटेड ब्रुअरी के शेयरों में 7 फीसदी की गिरावट आई. किंगफिशर, हाइनेकेन और एम्सटेल जैसी बियर बेचने वाली यह कंपनी अपनी सालाना बिक्री का 15-20 फीसदी हिस्सा तेलंगाना से ही आता है.
इसके अलावा, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग शराब कंपनियों पर बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए मिलीभगत के आरोपों की जांच कर रहा है. दिसंबर 2024 में एबी इनबेव और पेरनॉड रिकर्ड के दफ्तरों पर छापे भी मारे गए. पिछले कुछ सालों में भारत में शराब के उपभोग में तेजी से वृद्धि हुई है. शराब को सामाजिक मान्यता भी बढ़ी है.
एसोसिएशन ने नवंबर 2024 में तेलंगाना सरकार से अपील की थी कि दाम और भुगतान के मुद्दों को हल किया जाए. गिरी ने कहा, "हमें भरोसा है कि सरकार जल्द हस्तक्षेप करेगी और उद्योग को इस संकट से उबारेगी."
युनाइटेड ब्रुअरी ने कहा कि वह अपने उन कर्मचारियों को समर्थन देगी जो इस फैसले से प्रभावित हो सकते हैं. कंपनी ने यह भी कहा कि वह राज्य के राजस्व में हर साल 4,500 करोड़ रुपये से ज्यादा का योगदान देती है.
यह संकट ना केवल शराब कंपनियों के लिए बल्कि तेलंगाना के उपभोक्ताओं और राजस्व के लिए भी बड़ा खतरा बन सकता है. राज्य सरकार पर दबाव है कि वह इस विवाद को जल्दी सुलझाए और शराब उद्योग और उसकी आपूर्ति व्यवस्था सामान्य करे. अगर यह विवाद जल्द हल नहीं हुआ तो तेलंगाना में शराब की आपूर्ति लंबे समय तक बाधित रह सकती है, जिससे राजस्व का भारी नुकसान हो सकता है.
वीके/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)