भारत: जब खतरा नहीं, फिर भी एचएमपीवी से क्यों डरे हैं लोग?
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

कोरोना महामारी के बाद चीन में फैले एचएमपीवी के संक्रमण से दुनिया भर में एक बार फिर डर का माहौल है. लेकिन भारतीय विशेषज्ञ कहते हैं कि एचएमपीवी पुराना संक्रमण है, जिसकी प्रतिरोधक क्षमता भी शरीर में मौजूद है.भारत में अब तक कर्नाटक, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों से ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) के कम से कम 13 मामले सामने आ चुके हैं. ज्यादातर संक्रमण छोटे बच्चों या बुजुर्गों में ही सामने आए हैं. राज्यों में सतर्कता बढ़ा दी गई है. अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड तैयार किए जा रहे हैं. कई लोगों को एक बार फिर कोरोना जैसी महामारी और लॉकडाउन का डर दिख रहा है. लेकिन इसे लेकर विशेषज्ञों की राय थोड़ी अलग है.

लखनऊ स्थित डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉक्टर ज्योत्सना अग्रवाल का कहना है कि चीन में फैल रहे एचएमपीवी वायरस को लेकर भारत में डरने की आवश्यकता नहीं है. डीडब्ल्यू से डॉ. ज्योत्सना ने बताया, "कई बार अस्पताल में भर्ती होने वाले फेफड़ों के गंभीर रोगियों के जांच में भी एचएमपीवी का संक्रमण सामने आता है और इस समय छोटे बच्चों में संक्रमण सामने आ रहा है. भारत में इसकी जांच लगभग 15 से 20 वर्षों से की जा रही है. ऐसे में संक्रमित मरीज में प्रतिरोधक क्षमता भी पहले से ही जरूर होगी.”

एचएमपीवी के वायरस की पहचान पहली बार 2001 में नीदरलैंड्स में हुई थी. हालांकि इसके मामले 1958 के आसपास भी दुनिया के अलग-अलग जगह पर मिल चुके हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली में एडिशनल प्रोफेसर रह चुके भारतीय माइक्रोबायोलॉजिस्ट प्रोफेसर अशोक रत्तन भी इस बात से सहमति जताते हैं कि महामारी का डर फिजूल है. डीडब्ल्यू से उन्होंने बताया, "इस वायरस के सामने आने के बाद से अब तक कई शोध और अनुसंधान हो चुके हैं. किसी भी एक व्यक्ति में संक्रमण की वजह अलग हो सकती है. लेकिन यदि इसे महामारी के तौर पर देखा जाना है तो जरूरी है कि किसी क्षेत्र विशेष में कितने लोगों में यह संक्रमण फैल रहा, और किस स्तर तक पहुंच रहा इसकी पूरी तरह से जांच हो."

क्यों बढ़ रहा है डर?

एचएमपीवी एक पुराना संक्रमण है. एचएमपीवी के लक्षण भी सामान्य सर्दी, खांसी और जुकाम जैसे ही होते हैं. सर्दियों में यह संक्रमण अधिक तेजी से फैलता है और ज्यादा मरीज सकी शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचते हैं. डॉ. ज्योत्सना कहती हैं, "सर्दियों में लोगों की इम्यूनिटी कॉम्प्रोमाइज हो जाती है. सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन (सारी) और इन्फ्लुएंजा लाइक इन्फेक्शन (आईएलआई) के बढ़ने के कारण एचएमपीवी के मामले सामान्य तौर पर बढ़ने लगते हैं. इस वर्ष भी सर्दी बढ़ने पर ये मामले और भी अधिक बढ़ सकते हैं.” सारी की जांच में कई बार मरीज को एचएमपीवी का संक्रमण सामने आता है.

डॉ. ज्योत्सना के अनुसार, कोविड की उत्पत्ति चीन में हुई, इसलिए अब लोग ऐसी किसी भी चीज से डर रहे हैं, जो चीन में बढ़ने से आगे फैल सकती हो. लेकिन भारत में कई रिपोर्ट्स हैं, जिनमें निमोनिया से पीड़ित रोगियों में एचएमपीवी का संक्रमण सामने आया है.

क्या म्यूटेशन संभव है?

कोरोना के मामलों में जीनोम सीक्वेंसिंग का सहारा भी लिया गया था. इसके जरिए कोविड के अलग अलग वैरिएंट सामने आए थे और वायरस के म्यूटेशन का पता चला था. एचएमपीवी के बारे में डॉ. ज्योत्सना का कहना है कि जो वायरस जितनी तेजी से फैलता हो, उसमें म्यूटेशन की आशंका उतनी अधिक बढ़ती है.

वे बताती हैं कि एचएमपीवी के मामले में यह उतनी तेजी से फैला नहीं है और भारत में पहले से ही इस वायरस के सब-टाइप्स ए, बी, ए1, ए2, बी1, बी2 के बारे में हमें पता है. उनका अनुमान है कि इन सबटाइप्स के संक्रमण भी लोगों में फैले हों पर चूंकि इसे लेकर भारत में जेनेटिक स्टडी अधिक नहीं हुई है, ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग के बारे में अभी से कहना ठीक नहीं होगा.

एडवाइजरी की कितनी जरूरत?

डॉ. अशोक रत्तन का कहना है कि वायरल संक्रमण के बाद शरीर में एंटीबॉडी स्वयं ही बनती हैं. एचएमपीवी के लिए भी शरीर में पहले से ही एंटीबॉडी मौजूद है. इसके बावजूद अगर लोगों या सरकार को इसके भयावह होने का डर है तो सबसे पहले एचएमपीवी संक्रमित मरीजों के क्षेत्र में सतर्कता बरती जाने की जरूरत है. उनका मानना है कि यदि उस जगह पर अचानक संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगे या फिर लोग गंभीर स्थिति में अस्पताल पहुंचने लगें, तब इसके लिए आगे की रणनीति तैयार करने पर विचार किया जा सकता है.

कुछ ऐसा ही मानना डॉ. ज्योत्सना का भी है. वे कहती हैं, "अस्पताल में सिर्फ एचएमपीवी के लिए कोई मरीज भर्ती नहीं होता. उसे न्यूमोनिया का गंभीर संक्रमण, एक्यूट लंग डिसीज, सारी या आईएलआई जैसा कोई अन्य इंफेक्शन होगा. इस तरह के संक्रमण के परीक्षण में एचएमपीवी के कुछ प्रतिशत सामने आते हैं.”

एडवाइजरी जारी करने के सवाल पर डॉ. ज्योत्सना कहती हैं, "एडवाइजरी जारी करने से लोगों में डर बैठ सकता है. दूसरा पहलू यह भी है कि इसके लिए कोई खास एडवाइजरी है भी नहीं. सामान्य सर्दी खांसी में जो बचाव किया जाने चाहिए वहीं इस सक्रंमण में भी लागू होते हैं.”

प्रोफेसर अशोक ने बताया, "विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 9 जनवरी को ही रिपोर्ट जारी कर बताया है कि एचएमपीवी के मामलों में असामान्य बढ़ोतरी नहीं हो रही. ऐसे में सिर्फ किसी तरह की एडवाइजरी जारी कर देना लोगों के लिए तनावपूर्ण काम हो सकता है.”