नई दिल्ली: ससंद (Parliament) के आगामी सत्र से पहले एक बार फिर तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) का मुद्दा गरमाने की उम्मीद है. दरअसल मोदी सरकार ने दोबारा सत्ता में आने के बाद संसद में तीन तलाक (ट्रिपल तलाक) बिल पेश करने की बात कही है. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि हम आने वाले ससंद सत्र में ट्रिपल तलाक बिल को पेश करेंगे.
यह विधेयक मोदी सरकार की ओर से फरवरी 2019 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा. जावड़ेकर ने कहा कि नया विधेयक सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश होगा. संसद के शीतकालीन सत्र में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2018 (Triple Talaq) पारित हो गया था लेकिन सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी राज्यसभा में अटक गया.
जिसके बाद इसी साल फरवरी महीने में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीन तलाक अध्यादेश को मंजूरी दे दी. जिसके बाद से मोदी सरकार द्वारा लाया गया तीन तलाक अध्यादेश (Triple Talaq Ordinance) लगातार तीसरी बार लागू हुआ. इसके लागू होने से तीन तलाक बोलकर वैवाहिक रिश्ता तोड़ लेना अवैध बन गया. इस अपराध के लिए पति को तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान रखा गया है.
Union I&B Minister Prakash Javadekar: We will introduce the triple talaq bill in the upcoming parliament session. pic.twitter.com/QCOaFstXFS
— ANI (@ANI) June 12, 2019
केंद्र सरकार के प्रस्तावित कानून के तहत, एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) गैरकानूनी और शून्य होगा और ऐसा करने पर पति को तीन साल की सजा होगी. इस लंबित विधेयक को लेकर कांग्रेस नीत विपक्ष का कहना है कि इसे व्यापक चर्चा के लिए सदन की प्रवर समिति के पास भेजा जाए.
आपको बता दें कि एक अध्यादेश की समयावधि छह महीने की होती है. लेकिन कोई सत्र शुरू होने पर इसे विधेयक के तौर पर संसद से 42 दिन यानि छह सप्ताह के भीतर पारित कराना होता है, वरना यह अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाता है. अगर विधेयक संसद में पारित नहीं हो पाता है तो सरकार अध्यादेश फिर से ला सकती है.