Matsya Jayanti 2024: कब और क्यों लिया था विष्णुजी ने मत्स्य अवतार? जानें विष्णुजी के इस स्वरूप की पूजा-विधि एवं कुछ रोचक तथ्य!
Matsya Jayanti 2024

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर जब जब आसुरी शक्तियों ने मनुष्यों पर अत्याचार की सीमा लांघी, अथवा कोई दैवीय आपदाएं आई, पृथ्वीवासियों की रक्षार्थ जग के पालनहार भगवान विष्णु ने किसी न किसी रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया. इसी श्रृंखला में उनका एक मत्स्य अवतार भी आता है. विष्णु पुराण श्रीमद्भागवतम में उल्लेख है कि सत्य युग के चैत्र नवरात्र के समय में भगवान ने विशाल मत्स्य (विशालकाय मछली) के रूप में अवतार लिया था. हिंदू धर्म में इस दिन का बहुत महत्व है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अनुष्ठान का विधान है. इस वर्ष 11 अप्रैल 2024 को मत्स्य जयंती मनाई जाएगी. आइये जानते हैं इस पर्व के बारे में विस्तार से...

मत्स्य जयंती तिथि एवं मुहूर्त

मत्स्य जयंती गुरुवार, 01.37 PM बजे से शाम 04.04 PM (11 अप्रैल 2024)

चैत्र मास तृतीया प्रारंभः 05.32 PM (10 अप्रैल 2024, बुधवार)

चैत्र मास तृतीया समाप्तः 03.03 PM (11 अप्रैल 2024, गुरुवार)

उदया तिथि के नियमों के अनुसार 11 अप्रैल 2024, बुधवार को मत्स्य जयंती मनाई जाएगी.

मत्स्य जयंती के व्रत-पूजा के नियम

चैत्र मास की तृतीय को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान-ध्यान करें. मंदिर के समीप एक चौकी रखकर इस पर लाल वस्त्र बिछाएं. इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. अगर ऊर्जावान विष्णु यंत्र, मत्स्य यंत्र, मत्स्य स्टैंड उपलब्ध हो तो पूजा-स्थल पर रख सकते हैं. भगवान को पहले पंचामृत फिर गंगाजल से स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें, निम्न मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा प्रारंभ करें. यह भी पढ़ें : Gangaur Vrat 2024: अखंड सौभाग्य के लिए किया जाता है गणगौर व्रत! जानें इसका महत्व, मुहूर्त एवं पूजा-व्रत के नियम इत्यादि!

‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय विष्णवे मत्स्याय नमः॥’

अब भगवान को पुष्पहार, पुष्प, पीला चंदन, तुलसी दल, फूल, पान, सुपारी, भोग में फल और दूध निर्मित मिष्ठान अर्पित करें

भगवान विष्णु का सहस्त्रनाम का जाप करें, इससे शरीर का शुद्धिकरण होता है. अगर श्लोक जपना कठिन लग रहा है, तो किसी योग्य ब्राह्मण से विष्णु सहस्त्रनाम का जाप कराया जा सकता है. पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती उतारें, और भगवान को चढ़ाया हुआ प्रसाद लोगों में वितरित करें, तथा स्वयं सेवन करें.

भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार संदर्भित कुछ रोचक तथ्य!

* मत्स्य अवतार भगवान विष्णु का प्रथम अवतार माना जाता है. यह अवतार कृतयुग लिया था.

* विष्णु जी मत्स्य अवतार में एक मछली के रूप में प्रकट हुए थे. उनके सिर पर मकर और पीठ पर चक्र था.

* मत्स्य अवतार में विष्णुजी ने मनु को विविध ज्ञान प्रदान किया और पृथ्वी पर नये युग की शुरुआत हेतु धर्मग्रंथों को संग्रहित किया.

* विष्णुजी ने मनु को वह पुस्तक दिया, जिसमें नये युग से संबद्ध मानवीय और आध्यात्मिक ज्ञान संग्रहित था.

* मत्स्य अवतार लेकर विष्णुजी ने हयग्रीव नामक राक्षस से युद्ध कर आध्यात्मिक ज्ञान संग्रहित पुस्तक हासिल किया.

* मत्स्य अवतार में विष्णुजी ने मानवता कोमहाप्रलय से बचाया और नवनिर्मित धरती की स्थापना की.

* मत्स्य अवतार की कथा पुराणों, वेदों और हिंदू धर्म के मान्यताओं में महत्वपूर्ण है. यह धर्म, श्रद्धा, ज्ञान, संरक्षण और संपूर्णता को संकल्पित करती है.