Matsya Jayanti 2023: विष्णुजी को क्यों लेना पड़ा मत्स्य अवतार? जानें इनकी पूजा-विधि, मुहूर्त, एवं पौराणिक कथा!
मत्स्य जयंती 2023 (Photo: File Image)

Matsya Jayanti 2023: भगवान विष्णु के सभी अवतारों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण है मत्स्य अवतार (Matsya Avatar), विष्णु पुराण के अनुसार विष्णुजी का यह पहला अवतार है, जो उन्होंने पृथ्वी को विनाश से बचाने के लिए लिया था. चैत्र शुक्लपक्ष की तृतीया को भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था, इसलिए इस दिन को मत्स्य जंयती के नाम से मनाया जाता है. मत्स्य जयंती दर्शाता है कि जीवन के सभी क्षेत्रों में मानवता परम धर्म है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. आइये जानते हैं, विष्णु को मत्स्य अवतार क्यों लेना पड़ा? तथा इस दिन उनके मत्स्य स्वरूप की पूजा-विधि, मुहूर्त एवं पौराणिक कथा क्या है. इस वर्ष 24 मार्च 2023 को मनाई जाएगी मत्स्य जयंती...

मत्स्य अवतार तिथि एवं पूजा का शुभ मुहूर्त

चैत्र तृतीया प्रारंभः 12.00 AM (23 मार्च 2023, गुरुवार) से

चैत्र तृतीया तृतीयाः 01.56 AM (24 मार्च 2023, शुक्रवार) तक

उदया तिथि के अनुसार मत्स्य जयंती 24 मार्च को मनाई जायेगी

मत्स्य जयंती पूजा मुहूर्तः 10.00 AM से 04.15 PM तक (24 मार्च 2023)

ऐसे करें मत्स्य जयंती की पूजा

इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए, यह संभव नहीं है तो स्नान के जल में कुछ बूंदें गंगाजल मिलाकर स्नान करने से भी गंगा-स्नान का पुण्य-लाभ प्राप्त होता है. स्नान के पश्चात सूर्य को अर्घ्य दें, तथा ॐ नमों नारायण मंत्र का जाप करते हुए व्रत एवं पूजा का संकल्प लें. पूजा स्थल के सामने एक चौकी बिछाएं, उस पर गंगाजल छिड़क कर इस पर पीला वस्त्र बिछायें. अब इस पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें. विष्णु जी को पीतांबर पहनाएं. अब धूप-दीप प्रज्वलित कर निम्न मंत्र का 21 जाप करते हुए विष्णु जी को पीले चंदन एवं केसर का तिलक लगाएं.

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः

अब विष्णु जी को पीले फूल एवं पीले फूलों का हार पहनायें. पान, सिंदूर, रोली, पुष्प, तुलसी दल अर्पित करें. भोग में पंचामृत, सूखे मेवे, दूध की मिठाई एवं फल चढ़ाएं. विष्णु सहस्त्र नाम का पाठ करें और अंत में विष्णु जी की आरती उतारें. इसके पश्चात प्रसाद को ज्यादा से ज्यादा लोगों में वितरित करें.

मत्स्य जयंती के दिन करें ये उपाय

मान्यता है कि मत्स्य जयंती के दिन ये उपाय करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन विष्णु जी का ध्यान कर 'ॐ मत्स्यरूपाय नमः’ का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए. नदियों, पोखरों में मछलियों को गेहूं के आटे की गोली खिलाना चाहिए. इस दिन पूजा के पश्चात गरीबों को सत अनाजा (सात प्रकार के अनाज) का दान करना चाहिए. मंदिरों में हरिवंश पुराण का दान करना भी श्रेयस्कर माना जाता है.

क्यों अवतार लेना पड़ा विष्णु जी को मछली का

विष्णुजी के परम भक्त थे, सत्यव्रत मनु, जिनसे मनुष्य की उत्पत्ति हुई थी. एक दिन नदी तट पर पूजन-तर्पण करते समय नदी की धारा से एक छोटी-सी सुनहरी मछली उनके कमंडल में आ गई. मनु उसे लेकर राजमहल आये. अगले दिन मछली इतनी बड़ी हुई कि तालाब छोटा हो गया. अगले दिन मनु ने उसे पहले नदी में फिर समुद्र में डाला, लेकिन हर बार मछली बड़ी होती जा रही थी. मनु ने हाथ जोड़कर कहा, -आप असाधारण हैं. अपना परिचय दीजिए. विष्णुजी प्रकट होकर मनु से कहते हैं, सात दिन बाद पृथ्वी पर प्रलय आयेगा, संपूर्ण पृथ्वी पानी में डूब जायेगी.

श्रीहरि दुनिया को बचाने के लिए मनु से एक बड़ी नाव मंगवाते हैं. उसमें आवश्यक वस्तुएं रखवाने के बाद वह सप्तऋषि एवं अन्य जीवों को भी नाव में बुलवाते है. सात दिन बाद प्रलय प्रलय आया. विष्णुजी पुनः मछली रूप में प्रकट हुए और मनु से पूरी नाव को मछली में बांधने के लिए कहा. मनु ने ऐसा ही किया. कुछ समय पश्चात पानी घटता है, इस तरह सारे जीव बच जाते हैं.