पासपोर्ट सेवा 2.0 लॉन्च, अब चिप वाले E-Passport से विदेश यात्रा होगी सुपरफास्ट, जानें आपको कैसे होगा फायदा

भारत सरकार ने पासपोर्ट सेवा में कुछ बड़े और शानदार बदलावों की घोषणा की है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 'पासपोर्ट सेवा दिवस 2025' के मौके पर बताया कि अब पूरे देश में 'पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम 2.0' शुरू हो गया है और जल्द ही सभी को ई-पासपोर्ट मिलने लगेंगे. आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.

क्या है पासपोर्ट सेवा प्रोग्राम 2.0?

सीधे शब्दों में कहें तो यह पासपोर्ट बनवाने की प्रक्रिया को और भी तेज, आसान और पारदर्शी बनाने वाला एक नया सिस्टम है. इसमें नई और आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे आपको बेहतर और जल्दी सर्विस मिलेगी. यह नया सिस्टम अब पूरे देश में लागू कर दिया गया है. यही नहीं, विदेशों में भारतीय दूतावासों में भी इसे धीरे-धीरे लागू किया जाएगा.

अब मिलेगा चिप वाला ई-पासपोर्ट

यह सबसे बड़ा और रोमांचक बदलाव है. अब जो नए पासपोर्ट बनेंगे, वे ई-पासपोर्ट होंगे. इनमें एक इलेक्ट्रॉनिक चिप लगी होगी, जिसमें आपकी सारी जानकारी सुरक्षित रहेगी.

इसका फायदा क्या है?

  • तेज इमिग्रेशन: एयरपोर्ट पर इमिग्रेशन जांच के दौरान आपको लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा. आपकी जानकारी चिप से कॉन्टैक्टलेस तरीके से यानी बिना छुए स्कैन हो जाएगी, जिससे प्रक्रिया बहुत तेज हो जाएगी.
  • सुविधाजनक यात्रा: इससे आपकी विदेश यात्रा और भी आसान और सुविधाजनक हो जाएगी.

और क्या-क्या हुआ है बेहतर?

  1. फटाफट पुलिस वेरिफिकेशन: 'mPassport Police App' के लॉन्च होने से पुलिस वेरिफिकेशन का समय बहुत कम हो गया है. जिन 25 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह ऐप लागू है, वहां अब सिर्फ 5 से 7 दिनों में वेरिफिकेशन पूरा हो जाता है.
  2. आपके घर के पास पासपोर्ट सेवा: सरकार ने दूर-दराज के इलाकों में भी पासपोर्ट सेवा पहुंचाने का काम किया है. पिछले एक साल में 10 नए 'पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र' (POPSK) खोले गए हैं. हाल ही में 450वां केंद्र उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में खोला गया. इसके अलावा, मोबाइल वैन के जरिए भी दूर के गांवों और कस्बों तक पासपोर्ट सेवाएं पहुंचाई जा रही हैं.

इन बदलावों का क्या मतलब है?

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि पिछले 10-11 सालों में पासपोर्ट जारी करने की संख्या में भारी उछाल आया है. साल 2014 में जहां 91 लाख पासपोर्ट जारी हुए थे, वहीं 2024 में यह आंकड़ा बढ़कर 1.46 करोड़ तक पहुंच गया.

इन सभी सुधारों का मकसद आम नागरिकों को बेहतर सुविधा देना है. इससे हमारे देश के कामगारों और पेशेवरों को दुनिया भर में काम के अवसर तलाशने में मदद मिलेगी और भारत की वैश्विक पहचान और भी मजबूत होगी.