बिहार में स्वास्थ्य मंत्री, आईएमए में तनातनी, क्या सुधरेगी स्वास्थ्य व्यवस्था?
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (Photo Credit : Twitter)

पटना, 18 अक्टूबर : बिहार की राजधानी पटना के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) के औचक निरीक्षण के दौरान सामने आए बदइंतजामी से नाराज स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव द्वारा वहां के अधीक्षक विनोद कुमार सिंह के निलंबन कर देने के बाद मंत्री और चिकित्सकों में ठन गई है. चिकित्सकों के संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), बिहार ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया और कहा कि चिकित्सक के खिलाफ कार्रवाई का फैसला सही नहीं है. इधर, तेजस्वी ने भी चिकित्सकों को नसीहत देते हुए साफ कर दिया कि जिसे जहां जाना है जाए, फैसला नहीं बदलेगा.

दरअसल, यह मामला गुरुवार का है जब उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव एनएमसीएच का औचक निरीक्षण पर गए थे, जिसमें कई कमियां पाई गई. इस दौरान मरीजों ने भी कई प्रकार की शिकायतें की थी. इसके एक दिन के बाद एनएमसीएच के अधीक्षक विनोद सिंह को निलंबित कर दिया गया. इधर, आईएमए ने इस कारवाई को लेकर विरोध दर्ज किया है. यह भी पढ़ें : Himachal Assembly Elections: टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की पहली बैठक

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव ने इसके बाद कहा कि एनएमसीएच के अधीक्षक को पता ही नहीं था कि डेंगू वार्ड कहां है? इसलिए निलंबन की कारवाई की गई. इधर आईएमए के निलंबन वापस नहीं लिए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दिए जाने पर कहा कि जो गलत किया है, उस पर कारवाई होगी. उन्होंने झटके से एक आरोप भी लगा दिया कि राज्य में 705 चिकित्सक वर्षों से गायब थे, तब आईएमए चुप क्यों था? तेजस्वी के इन आरोपों के बाद आईएमए भी अब खुलकर सामने आ गया है. आईएमए का कहना है कि वस्तुस्थिति से परे बयान देकर स्वास्थ्य विभाग की गड़बड़ियों के लिए चिकित्सकों को जिम्मेवार बताकर दंड देने से स्वास्थ्य सेवा में सुधार की कल्पना नहीं की जा सकती है.

आईएमए के मुताबिक, डॉ. विनोद सिंह के अनुसार वे स्वयं उपमुख्यमंत्री की टीम को डेंगू वार्ड में लेकर गए थे. जहां तक 705 भगौड़े डॉक्टरों का मामला है, इस संबंध में दोषी चिकित्सकों पर कार्रवाई की मांग आईएमए पहले भी विभाग के समक्ष कर चुका है. आईएमए बिहार के पूर्व अध्यक्ष डॉ अजय कुमार भी मानते हैं कि साफ सफाई देखना चिकित्सकों का काम नहीं. इसकी अलग व्यवस्था है. वैसे अब सवाल यह भी उठाए जाने लगे हैं कि क्या मंत्री और चिकित्सकों के आमने-सामने आने के बाद राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधर जाएगी.