Hathras Gangrape Case: उत्तर प्रदेश के ADG प्रशांत कुमार ने कहा- हाथरस कांड के सहारे UP सरकार की छवि और माहौल खराब करने की जा रही है कोशिश
प्रशांत कुमार, एडीजी-लॉ एंड ऑर्डर (Photo Credits-ANI Twitter)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार (Prashant Kumar)  ने सोमवार को कहा कि हाथरस कांड (Hathras Case) के सहारे राज्य सरकार की छवि खराब करने की कोशिश हो रही है.  सरकार ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी शुरू कर दी है. हाथरस कांड में अमन-चौन बिगाड़ने की साजिश करने वालों के खिलाफ पुलिस ने एक दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज किए. कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है. एडीजी प्रशांत का कहना है कि कुछ संगठनों द्वारा हाथरस कांड के सहारे प्रदेश का माहौल और सरकार की छवि बिगाड़ने की साजिश रची जा रही है.

मामले में अलग-अलग थानों में मुकदमे लिखे गए हैं और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले लोगों के खिलाफ 13 केस दर्ज किए गए हैं. हाथरस में दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर कुछ अराजक तत्व प्रदेश में अमन-चैन बिगाड़ने और जातीय द्वेष फैलाने के उद्देश्य से पीड़ित परिवार को भड़काने, गलत बयान देने के लिए दबाव बनाने और उन्हें 50 लाख रुपये का प्रलोभन देने की कोशिश करने वालों पर मुकदमा दर्ज किया गया है.  यह भी पढ़े: Hathras Gangrape: गैंगरेप केस में यूपी पुलिस सख्त, मामले को लेकर दर्ज की 19 FIR

उन्होंने कहा कि हाथरस में प्रशासन की तरफ से विभिन्न राजनैतिक दलों के पांच-पांच लोगों को पीड़ित परिवार से मिलने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कई दलों ने नियमों को तोड़ते हुए विरोध प्रदर्शन किया। कुछ अराजक तत्व सुनियोजित तरीके से अमन-चैन बिगाड़ने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले की विवेचना की जा रही है। वहीं, विवादित पोस्टर लगाने के मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

एडीजी ने बताया कि इस संबंध में हाथरस के चंदपा थाने में आईपीसी व आईटी एक्ट की 20 धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.  इसके अलावा, अलग-अलग मामलों में हाथरस के चंदपा, सासनी व हाथरस गेट थाने में भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं। लखनऊ, मथुरा, बिजनौर, सहारनपुर, बुलंदशहर, प्रयागराज व अयोध्या में भी 13 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। मथुरा में कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एवं उनके 3-4 अन्य पदाधिकारियों को सीआरपीसी की धारा 151 के तहत निरुद्घ किया गया है.

एडीजी ने कहा कि पीड़िता और उसके भाई के बयान के आधार पर मुकदमा दर्ज करते हुए सभी आरोपितों को तत्काल गिरफ्तार कर जेल भेजा गया.  प्रदेश सरकार ने मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश भी की है. उनका दावा है कि कुछ संगठनों एवं व्यक्तियों द्वारा प्रदेश में जातीय एवं सांप्रदायिक हिंसा फैलाने और सरकार की छवि खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मो पर पीड़ित परिवार को भड़काया गया. साथ ही भ्रामक व द्वेषपूर्ण सूचनाओं को प्रसारित करते हुए उन्माद फैलाने का प्रयास भी किया जा रहा है.