महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर पार्टी प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर पुणे के वनाज इलाके में एक व्यक्ति पर कथित तौर पर हमला किया. पुणे टाइम्स मिरर की रिपोर्ट के अनुसार, केदार सोमन (Kedar Soman) नामक व्यक्ति को मनसे कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पीटा और बाद में पुलिस को सौंप दिया. इस घटना के कारण इलाके में अस्थायी तनाव पैदा हो गया, जिसके बाद पुलिस ने हस्तक्षेप किया. रिपोर्ट के अनुसार, सोमन को मनसे कार्यकर्ताओं ने तब पकड़ा जब उसने राज ठाकरे की आलोचना करते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की. रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय पुलिस ने सोमन को हिरासत में ले लिया है और मामले की जांच कर रही है कि इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी या नहीं. यह भी पढ़ें: Protest Against MNS Workers: ठाणे और मीरा भयंदर के व्यापारियों ने दुकानदार के साथ मारपीट करने वाले मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ किया प्रोटेस्ट, देखें वीडियो
बता दें कि कल 2 जुलाई को महाराष्ट्र के ठाणे के भयंदर क्षेत्र में मंगलवार को कथित तौर पर मनसे कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मराठी में बात करने से इनकार करने पर एक दुकान मालिक पर हमला कर दिया. वायरल वीडियो में दिखाया गया है कि दुकान मालिक से जब पूछा गया कि “राज्य में कौन सी भाषा बोली जाती है” तो लोगों ने उसे कई बार थप्पड़ मारे. दुकान मालिक ने हिंदी में जवाब दिया कि “सभी भाषाएं”, जिससे दुकान पर खाना खरीदने आए लोग भड़क गए. यह भी पढ़ें: Mumbai: मराठी न बोलने पर व्यापारी को पीटा, भाजपा ने कार्रवाई की मांग उठाई
मनसे कार्यकर्ताओं ने पुणे के केदार सोमन पर किया हमला
MNS (Maharashtra Navnirman Sena) workers turned aggressive against a youth named Kedar Soman for allegedly posting objectionable content about MNS Chief Raj Thackeray on social media. The MNS workers tracked down Kedar Soman, who resides in the Vanaz area, assaulted him, and… pic.twitter.com/uFLettyejM
— Pune Mirror (@ThePuneMirror) July 3, 2025
यह घटना महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य में तीन-भाषा नीति के कार्यान्वयन पर अपने आदेश वापस लेने के तुरंत बाद हुई, जिसके कारण विपक्ष ने इसे ‘हिंदी थोपना’ करार दिया.
'तीन-भाषा' विवाद
तीन-भाषा नीति पर विवाद तब शुरू हुआ जब महाराष्ट्र सरकार ने 16 अप्रैल को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया गया. हालांकि, विरोध के जवाब में सरकार ने 17 जून को संशोधित प्रस्ताव के ज़रिए नीति में संशोधन किया, जिसमें कहा गया, "हिंदी तीसरी भाषा होगी. जो लोग दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं, उनके लिए कम से कम 20 इच्छुक छात्रों की ज़रूरत होगी."













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