लड़की के मां-बाप से जितना बन पड़ता है वो सब कुछ बेटी की शादी में देते हैं. शादी में कोई कमी न हो इसलिए लोन भी लेते हैं. शादी में वो पैसे प्रॉपर्टी के साथ-साथ अपने कलेजे का टुकड़ा अपनी बेटी को भी दान करते हैं. इसके बावजूद वर पक्ष का लालच खत्म नहीं होता है. ये बात शास्त्रों में भी कही गई है कि कन्यादान से बड़ा दान कुछ नहीं होता है. लेकिन ये बाद समाज में मौजूद लालची लोगों के पल्ले नहीं पड़ती और वो अपने बेटे की बोली लगाने के लिए समाज में निकल पड़ते हैं और जहां बेटे का दाम ज्यादा मिलता है वहां शादी पक्की कर देते हैं. राजस्थान में शादी के दौरान दहेज का एक मामला सामने आया है जहां दूल्हा मंडप में फेरे लेते हुए ये कहकर रुक जाता है कि वो तब तक शादी नहीं करेगा जब तक उसे उसकी पसदं की बाइक नहीं मिलेगी. लड़के की ये बात सुनकर लड़की मंडप में ही बेहोश हो गई. लड़की वालों ने वर पक्ष को बहुत समझाने की कोशिश की कि लड़की के पिता न होने बावजूद वो लोग जैसा चाहते थे वैसे धूम धाम से उनकी आव भगत कर रहे हैं. जो मांगा वो सब दिया. इसके बाद भी वर पक्ष मनाने के लिए तैयार ही नहीं हुआ.
घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंची, पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बात न मानने पर पुलिस ने उन पर दहेज का केस दर्ज करने की धमकी दी. जिसके बाद वर पक्ष शादी के लिए तैयार हो गया. लड़की पक्ष वालों ने वर पक्ष वालों से लेटर लिखवाकर दस्तखत करवाए कि शादी के बाद वो लड़की को देहज के लिए प्रताड़ित नहीं करेंगे.
दरअसल लड़के वालों ने जो बाइक मांगी थी लड़की वाले वो न देकर उसे दूसरी सस्ती बाइक दी क्योंकि उतनी महंगी बाइक देना उनके औकात से बाहर थी.