चंडीगढ़: भारतीय वायुसेना (IAF) के बेड़े में शामिल होने के लिए पांच राफेल विमानों का पहला जत्था आज (29 जुलाई) दोपहर हरियाणा (Haryana) के अंबाला एयरबेस (Ambala Air Base) पर लैंड हुआ. वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया (RKS Bhadauria) ने खुद 7,000 किलोमीटर का सफर तय करके पहुंचे राफेल विमानों की अगवानी की. इसमें से तीन विमान एक सीट वाले और दो विमान दो सीट वाले है. राफेल विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना के 'गोल्डन एरोज' यानि स्क्वाड्रन नंबर-17 में शामिल करने के लिए मध्य अगस्त में एक बड़ा समारोह आयोजित किया जाएगा.
रणनीतिक और सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयरबेस के लिए संयुक्त अरब अमीरात से उड़ान भरने के थोड़ी देर बाद भारतीय राफेल ने पश्चिमी अरब सागर में तैनात भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस कोलकाता के साथ संपर्क किया. इसके बाद भारत के एयरस्पेस में दाखिल होने की जानकारी रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट करके दी है. जबकि भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाद राफेल विमानों के साथ वायुसेना के लड़ाकू विमान SU30 MKI भी आसमान में पहुंच गए. भारत के रास्ते में, पांच राफेल विमानों में फ्रांसीसी टैंकर ने बीच हवा में भरा ईंधन
#WATCH First batch of #Rafale jets arrive in Ambala, Haryana from France. pic.twitter.com/wIfx8nuVIF
— ANI (@ANI) July 29, 2020
भारतीय वायुसेना में राफेल विमानों के आने से युद्धक क्षमता में महत्वपूर्ण रूप से बढ़ोत्तरी होगी. राफेल जेट का पहला स्क्वाड्रन अंबाला एयरबेस पर जबकि दूसरा पश्चिम बंगाल के हासिमारा बेस पर रहेगा. अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है.
The Touchdown of Rafale at Ambala. pic.twitter.com/e3OFQa1bZY
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) July 29, 2020
भारत ने 23 सितंबर 2016 को फ्रांसीसी एरोस्पेस कंपनी दसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था. भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान जबकि छह प्रशिक्षु विमान हैं. पहला राफेल जेट पिछले साल अक्टूबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान भारतीय वायुसेना को सौंपा गया था. (एजेंसी इनपुट के साथ)