Farmers Protest: किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत शुरू, टिकी हैं सभी की निगाहें
किसान नेताओं और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत जारी ( फोटो क्रेडिट- ANI)

नई दिल्ली:- किसान आंदोलन (Farmers Protest) का शुक्रवार को 58वां दिन है और प्रदर्शनकारी किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए हैं. आंदोलन कर रहे किसानों की मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों (Three New Farm Laws) को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर आंदोलन जारी रखा है. इस बीच एक बार फिर से सरकार के साथ आज (शुक्रवार) किसान यूनियनों की 11वें दौर की वार्ता विज्ञान भवन (Vigyan Bhawan) में दोपहर 12 बजे शुरू हो गई है. कयास लगाया जा रहा है कि इस मसले का हल आज निकल सकता है. लेकीन इससे पहले हुई सभी बैठकों के बाद कोई ठोस परिणाम नहीं आया था.

इस बीच अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा, सरकार का रवैया थोड़ा और सकारात्मक होगा तो बेहतर हो सकता है. सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था उसमें पुराने प्रस्ताव से थोड़ा फर्क था इसीलिए वह प्रस्ताव हम आमसभा में ले गए थे. चर्चा के बाद उन लोगों ने उसे मानने से इनकार कर दिया. 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली को लेकर बातचीत चल रही है। रैली तो होगी ही. सरकार रिंग रोड पर आने से मना कर रही है लेकिन किसान पीछे नहीं हटेगा। हम देखते हैं इसे शांतिपूर्ण तरीके से कहां तक कामयाब किया जा सकता है. Farmers Protest: गणतंत्र दिवस पर किसानों के प्रदर्शन के लिए ट्रैक्टरों का आना जारी.

गौरतलब हो कि केंद्र सरकार ने पिछली वार्ता में किसान यूनियनों को एक प्रस्ताव दिया था कि अगर किसान आंदोलन वापस लेने पर विचार करें तो सरकार तीनों कानूनों के कार्यान्वयन को एक से डेढ़ साल तक स्थगित कर सकती है और इस बीच सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाकर एमएसपी समेत तमाम मसलों का समाधान निकाला लिया जाएगा.

इस प्रस्ताव पर विचार करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को कहा था कि नये कृषि कानून पर सरकार का प्रस्ताव उसे मंजूर नहीं है. आंदोलनरत किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ 11वें दौर की वार्ता से एक दिन पहले मोर्चा ने एक बयान में कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की आम सभा में सरकार द्वारा दिए गए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया. फिलहाल अब सभी नजरें इस बैठक पर है. अगर हल नहीं नहीं निकला तो आंदोलन लंबा खींच सकता है.