लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी का वो मंजर अब भी कोई नहीं भुला होगा. दिल्ली, गुजरात, साउथ इंडिया, यूं कहें देश के कोने कोने से लोग अपने अपने घर, गांव के लिए निकल गए थे. इस दौरान सड़कों पर रेला नजर आया था. इस दौरान मजदूर बस, ट्रक, सायकिल तो कई लोग ऐसे थे जो मुंबई से उत्तर प्रदेश के लिए पैदल ही निकल गए थे. वहीं मजदूरों के पलायन को लेकर संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जानकारी देते हुए कहा कि फेक खबरों (Fake news) के कारण जो घबराहट पैदा हुई उसके कारण बड़ी संख्या में लोगों ने पलायन किया. टीएमसी सांसद माला रॉय ने संसद में सरकार से मजदूरों के पलायन सवाल पूछा था. जिसके जवाब में ये जानकारी दी गई.
बता दें कि गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जानकारी देते हुए कहा कि "लॉकडाउन की अवधि के बारे में फर्जी खबरों द्वारा बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिकों के प्रवासन से दहशत पैदा हुई थी, और लोग, विशेष रूप से प्रवासी मजदूर, भोजन, पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं और आश्रय जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की पर्याप्त आपूर्ति के बारे में चिंतित थे. इस दौरान लोगों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े. उसके मद्देनजर वरिष्ठ अधिकारीयों समेत बैठक और मंत्रालय में नियंत्रण कक्ष बनाने सहित कई उपाय किए गए थे. यह भी पढ़ें:- Congress Attacks on Modi Govt: कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया अनौपचारिक क्षेत्र को बर्बाद करने का आरोप, कहा- 40 करोड़ कामगार गरीबी के मुहाने पर है.
जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकारों को 28 मार्च को ही राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) का उपयोग करने की अनुमति दी थी. बेघर लोगों और साथ ही प्रवासी श्रमिकों को अस्थायी आवास, भोजन, कपड़े, चिकित्सा देखभाल आदि प्रदान करने के लिए. राज्यों के साथ धन में वृद्धि करने के लिए, केंद्र ने 3 अप्रैल को राज्यों को राज्य आपदा फंड से 092 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि दी थी. इससे पहले सोमवार को लोकसभा में सरकार ने लिखित जवाब में कहा था कि उसके पास लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों की मौत का आंकड़ा नहीं है.