नई दिल्ली: केंद्र सरकार इन दिनों 'आत्मनिर्भर भारत' कार्यक्रम के तहत स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है. इस बीच बड़ी मात्रा में आयात किए जाने वाले उत्पादों, विशेष रूप से चीन से आने वाले उत्पादों पर टैरिफ (शुल्क) बढ़ाया जा सकता है.सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. भले ही अपेक्षित कदम विशेष तौर पर किसी देश के लिए नहीं है, लेकिन शुल्क बढ़ोतरी से चीन से होने वाले आयात पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. वर्तमान में, चीन व भारत के बीच आयात व निर्यात में एक बड़ा फासला है.भारत में चीन से आयात अधिक हो रहा है, जबकि निर्यात अपेक्षाकृत कम है. चीन से कई उत्पाद बड़ी मात्रा में आयात किए जाते हैं, जिनमें खिलौने प्रमुख हैं.
इस सप्ताह व्यापार निदेशालय के महानिदेशक ने उन उत्पादों के संबंध में दो एंटी-डंपिंग जांच पूरी की, जो मुख्य रूप से अन्य स्थानों के साथ ही चीन से प्राप्त किए जाते हैं. कुल मिलाकर, दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार लगभग 85 अरब डॉलर प्रति वर्ष है, जो चीन के पक्ष में अधिक झुका हुआ है. बहरहाल, चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2018 में 63.1 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2019 में 53.6 अरब डॉलर हो गया है और इसके वित्त वर्ष 2020 में और कम होने का भी अनुमान है. यह आंशिक रूप से स्टील जैसे डंपिंग रोधी शुल्क लगाने के कारण कम होने का अनुमान है. यह भी पढ़े: India-China Face-Off in Ladakh: भारतीय सेना के 10 जवानों के अगवा करने की खबरों के बीच चीन ने कहा- हमने नहीं पकड़ा भारत का एक भी जवान
अब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारत व चीन के बीच चल रहे हालिया गतिरोध ने भी भारत में चीन विरोधी भावना को तेज कर दिया है. भारत में विशेष रूप से चीन के सस्ते उत्पादों का बड़ा बाजार है, जिस पर हाल में चल रहे तनाव के कारण कुछ प्रभाव पड़ने की संभावना है. शुल्क वृद्धि की दर और स्कोप अलग-अलग प्रकार से लागू किए जा सकते हैं. इन्हें काउंटरवैलिंग और एंटी-डंपिंग ड्यूटी लगाने या एक बेसिक कस्टम ड्यूटी के तौर पर लागू किया जा सकता है.
सूत्रों ने कहा कि कई उत्पाद जैसे प्रिंटिंग पेपर, खिलौने, टोनर, एसी कंप्रेशर्स, सामान्य उपयोग वाले बिजली के तार और स्विच उन कुछ वस्तुओं में से हैं, जिन पर अधिक फोकस किया जा सकता है. हालांकि फार्मा सामग्री जैसे उत्पादों को अभी छोड़ने का फैसला किया गया है. सूत्रों के अनुसार, श्रम प्रधान उद्योगों द्वारा उत्पादित स्थानीय वस्तुओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले उत्पादों पर भी शुल्क बढ़ सकता है. इस तरह के कदम से 'मेक इन इंडिया' नीति के साथ स्थानीय विनिर्माण को भी प्रोत्साहन मिलेगा.