नई दिल्ली, 27 जुलाई : सरकार भारत-चीन सीमा (India-China Border) पर सड़क के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसके लिए उसने 4,203 किलोमीटर लंबी 73 महत्वपूर्ण सड़कों की पहचान की है, जिन्हें समर्पित वित्त पोषण के साथ सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने सोमवार को राज्यसभा में नरेश बंसल को एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार देश की सुरक्षा जरूरतों को पूरी तरह से समझती है और समय-समय पर इसकी समीक्षा करती है.
मंत्री ने कहा कि भारत की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और सुरक्षा के लिए सड़कों, सुरंगों और रणनीतिक रेलवे लाइनों के निर्माण जैसे बुनियादी ढांचे के विकास सहित आवश्यक उपाय किए गए हैं. सशस्त्र बलों की परिचालन आवश्यकताओं और सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास की आवश्यकता के अनुसार, सड़क निर्माण का कार्य सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा किया जाता है. मंत्री ने कहा, इनमें से 73 महत्वपूर्ण सड़कों को 4,203 किलोमीटर लंबी भारत-चीन सीमा सड़कों के रूप में नामित किया गया है और समर्पित धन के साथ सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है. इसके अलावा, दूर-दराज के क्षेत्रों में हर मौसम में संपर्क सुनिश्चित करने के लिए, सुरंगों का निर्माण भी र्दे पर किया गया है. फिलहाल चार टनल का निर्माण कार्य चल रहा है. यह भी पढ़ें : Karnataka: बीएस येदियुरप्पा के इस्तीफे से दुखी युवक ने की खुदकुशी
रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, राज्य लोक निर्माण विभाग और भारतमाला और चारधाम जैसी केंद्रीय परियोजनाओं के बजटीय समर्थन से उत्तराखंड में बुनियादी ढांचे के विकास को समग्र रूप से क्रियान्वित किया जा रहा है. भट्ट ने कहा कि आज की तारीख में, लगभग 800 किलोमीटर की लंबाई वाली 21 सड़कों का निर्माण और उन्नयन बीआरओ द्वारा किया जा रहा है और राज्य पीडब्ल्यूडी द्वारा कुछ सड़कों का निर्माण किया जा रहा है. चीन पिछले कई वर्षों से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सड़क और सैन्य बुनियादी ढांचे को तेजी से बढ़ा रहा है. इस साल जनवरी में, अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में चीन द्वारा निर्माण की रिपोटरें को स्वीकार करते हुए, विदेश मंत्रालय ने कहा था, हमने चीन द्वारा भारत के साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने की हालिया रिपोर्ट देखी है. भारत सरकार ने तब स्पष्ट रूप से कहा था कि वह भारत की सुरक्षा पर असर डालने वाले सभी घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखे हुए है.