गंगा और यमुना के बीच की सभी जमीनें मेरी है... उत्तराधिकारी होने का दावा करने वाले व्यक्ति पर दिल्ली HC ने लगाया 10 हजार रुपये का जुर्माना
Delhi High Court | PTI

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार, 19 दिसंबर को उस व्यक्ति पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जिसने गंगा और यमुना के बीच की सभी जमीनों के स्वामित्व का दावा किया था. याचिकाकर्ता का नाम कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह है, जिसने उन जमीनों के स्वामित्व का दावा करते हुए अदालत का रुख किया था जो आज आगरा, मेरठ, अलीगढ़ और दिल्ली, गुड़गांव और उत्तराखंड की 65 राजस्व संपत्तियों का हिस्सा हैं. अपनी याचिका में उस व्यक्ति ने यह भी कहा कि वह बेसवान अविभाज्य राज्य का उत्तराधिकारी है, जिसका भारत संघ में कभी विलय नहीं हुआ.

शख्स की याचिका पर प्रतिक्रिया देते हुए अदालत ने कहा कि याचिका पूरी तरह से गलत है, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और न्यायिक समय की पूरी बर्बादी है. HC on Right to Privacy: निजता के अधिकार को लेकर गुजरात हाई कोर्ट ने आयकर विभाग को लगाई फटकार, पूछे ये सवाल.

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आज भी उनका परिवार एक रियासत का दर्जा रखता है और उनके स्वामित्व वाले सभी क्षेत्र कभी भी भारत सरकार को हस्तांतरित नहीं किए गए. आवेदक ने दावा किया कि 1947 में भारत की आजादी के बाद, भारत सरकार ने बेसवान अविभाज्य राज्य बेसवान के साथ ना कोई विलय समझौता किया और ना कोई संधि की.

यह दावा किया गया है कि कोई अधिग्रहण प्रक्रिया भी नहीं हुई थी, इसलिए बेसवान अविभाज्य राज्य आज की तारीख में बेसवान परिवार के पास ही है. इतना ही नहीं याचिकाकर्ता ने भारत सरकार को आधिकारिक विलय तक अपने क्षेत्र में लोकसभा, राज्यसभा, राज्य विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनाव नहीं कराने को कहा.

जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि सिंह ने केवल कुछ नक्शे और लेख ही दाखिल किए हैं जो बेसवान परिवार के अस्तित्व का संकेत नहीं देते हैं या इस बात पर कोई प्रकाश नहीं डालते हैं कि उन्हें उक्त रियासत में सफल होने का कोई अधिकार कैसे है.

कोर्ट ने माना कि याचिका पूरी तरह से गलत है, कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है और न्यायिक समय की पूरी बर्बादी है. इसलिए, अदालत ने याचिका खारिज कर दी और कुंवर महेंद्र ध्वज प्रसाद सिंह को चार सप्ताह की अवधि के भीतर सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष में ₹10,000 जमा करने का आदेश दिया.