नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस (COVID-19) के डेल्टा प्लस वेरिएंट (Coronavirus Delta Plus Variant) के मामले सामने आने के बाद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका और बढ़ गई है. कई राज्यों से डेल्टा प्लस वेरिएंट के मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर केंद्र और राज्य सरकारें अभी भी अलर्ट मोड पर हैं. इस बीच कोरोना का डेल्टा प्लस वेरिएंट चिंता की सबसे बड़ी वजह है. कोरोना की तीसरी लहर कब आएगी और यह कितनी तबाही मचाएगी इसको लेकर अब तरह कई स्टडी की जा चुकी हैं. COVID-19: पोस्ट-कोविड-19 सिंड्रोम क्या है? जानें ठीक होने के बाद भी 3-6 महीने तक कैसे शरीर पर रह सकता है इसका असर.
इस बीच एक स्टडी में कहा गया है कि यदि कोविड-19 की तीसरी लहर आती है तो उसके दूसरी लहर की तरह गंभीर होने की आशंका नहीं है. इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च (IJMR) में प्रकाशित गणितीय ‘मॉडलिंग’ विश्लेषण पर आधारित इस अध्ययन में रेखांकित किया गया है कि टीकाकरण के दायरे के विस्तार से कोरोना वायरस की तीसरी लहर को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
अध्ययन में ऐसे परिदृश्य की चर्चा की गयी है जिसमें 40 प्रतिशत आबादी ने दूसरी लहर के तीन महीनों के भीतर दोनों खुराक ले ली हैं. इसमें कहा गया है कि टीकाकरण का प्रभाव संक्रमण की गंभीरता को 60 प्रतिशत तक कम करने के लिए है. स्टडी के अनुसार संभावित तीसरी लहर के दौरान टीकाकरण गंभीरता को काफी हद तक कम कर सकता है.
"भारत में कोविड-19 की तीसरी लहर की संभाव्यता: गणितीय मॉडलिंग आधारित विश्लेषण" के लेखकों में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के संदीप मंडल, बलराम भार्गव और समीरन पांडा तथा इंपीरियल कॉलेज लंदन के निमलन अरिनामिनपति शामिल हैं.
तीसरी लहर के संबंध में चार परिकल्पनाओं पर विचार करते हुए अध्ययन में कहा गया है, संक्रमण-आधारित प्रतिरक्षा क्षमता समय के साथ कम हो सकती है, पहले से संक्रमित हुए लोग पुन: संक्रमित हो सकते हैं, भले ही मौजूदा वायरस अपरिवर्तित रहे.