Conjoined Twins Register as Voters: एक-दूसरे से जुड़े हुए जुड़वा भाई सोहना और मोहना हुए 18 के, मतदान के लिए किया रजिस्टर, चुनाव आयोग के सामने अब ये समस्या
जुड़े हुए भाई सोहना और मोहना (Photo Credits: Youtube)

कुछ दिन पहले अपना 18 वां जन्मदिन मनाने वाले जुड़वा भाई सोहना और मोहना ने अब अपने "मतदान के अधिकार" का दावा किया है. अमृतसर प्रशासन के साथ खुद को मतदाता के रूप में पंजीकृत कराने के बाद, दोनों आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों में पहली बार चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए उत्साहित है. उन्होंने कहा, "अब हम अधिकारिक तौर पर बड़े हो गए हैं. अब हम अपनी पसंद के वोटिंग बटन दबाएंगे. (अब हम आधिकारिक तौर पर वयस्क हैं और वोट देने के अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे)," उन्होंने कहा. हालांकि उन्होंने अपने वोट के अधिकार का दावा करने के लिए अलग फॉर्म -6 पर आवेदन किया था, यह देखना बाकी है कि मतदान के समय उन्हें अलग व्यक्ति या एक यूनिट माना जाएगा. यह भी पढ़ें: बिहार: सिर से जुड़ी जुड़वा बहनों को अलग-अलग वोट करने का मिला अधिकार, आज करेंगी मतदान

उन्हें अब गुप्त मतदान मानदंड का पालन करना होगा क्योंकि जब कोई अपना वोट डाल रहा होता है तो कोई अन्य व्यक्ति उपस्थित नहीं हो सकता है. डीसी गुरप्रीत सिंह खैरा ने कहा कि चूंकि यह अपनी तरह का अनूठा मामला है, इसलिए यह स्पष्ट करने के लिए चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों से जांच करनी होगी कि उनके नाम एक ही मतदाता पहचान पत्र पर अंकित किए जाने चाहिए या अलग-अलग. "हमें चुनाव आयोग के मानदंडों से स्पष्टीकरण मांगना होगा कि क्या उनके वोट को एक या दो के रूप में माना जाएगा."

पिंगलवाड़ा के प्रमुख इंद्रजीत कौर ने कहा कि सोहना और मोहना दोनों के दिमाग अलग हैं और उनके मत भी अलग हैं. "वे अलग-अलग विशेषताओं वाले दो अलग-अलग व्यक्तित्व हैं. वर्तमान में वे आईटीआई से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बारे में टेक्नीकल अध्ययन कर रहे हैं, ”उन्होंने कहा.

14 जून 2003 को नई दिल्ली के सुचेता कृपलानी अस्पताल में जन्मे सोहना और मोहना सभी महत्वपूर्ण अंगों को साझा करते हैं. एम्स के डॉक्टरों ने उन्हें अलग नहीं करने का फैसला किया क्योंकि इससे एक की जान जा सकती थी. वे धड़ के नीचे जुड़े हुए हैं और उनके एक जोड़ी पैर हैं. उनके दो दिल, दो जोड़ी हाथ, गुर्दे और रीढ़ की हड्डी है, लेकिन केवल एक यकृत और पित्ताशय है. उनके माता पिता ने जन्म के बाद ही उन्हें छोड़ दिया लेकिन उनके जन्म के दो महीने बाद उन्हें पिंगलवाड़ा सोसाइटी ने गोद ले लिया.