भाजपा ने कहा, 'यूपी में सैद्धांतिक रूप से है विपक्ष की एकता', 50 फीसदी से ज्यादा वोटों पर है नजर
भारतीय जनता पार्टी (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नई दिल्ली, 12 दिसंबर : यह मानते हुए कि उत्तर प्रदेश में केवल सैद्धांतिक रूप से एक पूर्ण विपक्षी एकता मौजूद है, भाजपा 2022 के विधानसभा चुनावों में 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने की अपनी रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रही है, ताकि उसके खिलाफ किसी भी एकीकरण को कुंद किया जा सके. अपने हिंदू वोटों को और मजबूत करने के लिए भगवा पार्टी ने विधानसभा चुनावों के लिए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनर्विकास को उजागर करने की भी योजना बनाई है.

अपने पक्ष में 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भगवा पार्टी दो मोर्चो पर काम कर रही है, पहला बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करना और दूसरा उत्तर प्रदेश में केंद्र और राज्य में भाजपा सरकार के तहत पांच साल में हुए विकास और कल्याणकारी उपायों पर आधारित है. 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को लगभग 50 प्रतिशत वोट मिले और 80 में से 64 सीटें मिलीं. 2017 के पिछले विधानसभा चुनावों में, भाजपा और उसके गठबंधन सहयोगी ने उत्तर प्रदेश में 403 में से 324 सीटें जीती थीं. पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को कुल वोटों का करीब 40 फीसदी वोट मिला था.

भाजपा उत्तर प्रदेश के उपाध्यक्ष विजय बहादुर पाठक ने कहा, "हम इस बार भी 50 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल करने पर काम कर रहे हैं और यह उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण रणनीति होगी. पिछले 2019 के लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सबसे बड़े गठबंधन से चुनौती का सामना करने के बावजूद हमने अपने गठबंधन सहयोगी अपना दल के साथ 64 सीटें जीतीं और 50 प्रतिशत वोट शेयर भी हासिल किया. पूर्ण विपक्षी एकता केवल उत्तर प्रदेश में और कागज पर सैद्धांतिक रूप से मौजूद है. 50 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर प्राप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भाजपा ने 'बूथ जीतो, चुनाव जीतो' अभियान शुरू किया है. भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 1.53 लाख से अधिक मतदान केंद्रों पर समितियों का गठन किया है. सत्तारूढ़ दल भी मतदाता सूची के प्रत्येक पृष्ठ पर 'पन्ना प्रमुख' की नियुक्ति पूरी की. बूथ स्तर पर इन कार्यकर्ताओं ने नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यो के साथ मतदाताओं तक पहुंचना शुरू कर दिया है.

आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा राज्य में 1.5 करोड़ से अधिक नए सदस्यों का नामांकन कर रही है. इस समय उत्तर प्रदेश में भाजपा के 2.5 करोड़ से अधिक सदस्य हैं. पार्टी के एक नेता ने कहा, "योजना के अनुसार, भाजपा कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में 1.53 लाख से अधिक मतदान केंद्रों पर कम से कम 100 नए सदस्य बना रहे हैं, जहां पार्टी की एक समिति है. सदस्यता अभियान के दौरान पार्टी राज्य में कम से कम 1.5 करोड़ सदस्यों को नामांकित करने का लक्ष्य बना रही है." भाजपा ने हिंदुत्व के अपने मूल वैचारिक एजेंडे पर 13 दिसंबर से एक महीने का उत्सव मनाने की योजना बनाई है. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर के बड़े पैमाने पर पुनर्विकास और सौंदर्यीकरण राष्ट्र को समर्पित करेंगे. यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आतंकवादी ढेर

सोशल इंजीनियरिंग के मोर्चे पर अगले साल के विधानसभा चुनावों से पहले सभी समुदायों को लुभाने के लिए पार्टी ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अनुसूचित जाति (एससी) के लिए एक जाति विशिष्ट आउटरीच कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया है. रणनीति के अनुसार, कार्यक्रम ओबीसी और एससी की सभी जातियों और उपजातियों पर केंद्रित होंगे. ओबीसी जाति पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि वे राज्य के कुल मतदाताओं का 50 प्रतिशत से अधिक हैं. गैर यादव ओबीसी ने हाल के दिनों में भाजपा के उदय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, "उत्तर प्रदेश में ओबीसी चुनावी रूप से महत्वपूर्ण हैं. इस बार हम सभी ओबीसी समुदायों खासकर गैर-यादवों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं."

एससी समुदायों के बीच भाजपा उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बेबी रानी मौर्य को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ राज्य में दलित चेहरे के रूप में पेश करके बसपा वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रही है. बेबी रानी और मायावती दोनों ही प्रमुख जाटव समुदाय से हैं, जो दलित समुदाय का आधे से अधिक हिस्सा है. जाटव उत्तर प्रदेश में कुल 21 फीसदी दलित आबादी का 11 फीसदी है. जाटव समुदाय अभी भी मायावती के साथ है और जाटव वोट बैंक में कोई भी सेंध लगना मायावती को कमजोर करेगी और भाजपा को मजबूत करेगी.