Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग से मुश्किल में भारत, अमेरिका लगा सकता है CAATSA
राष्ट्रपति जो बाइडेन व पीएम मोदी (Photo Credits Facebook/PIB)

नई दिल्ली: यूक्रेन में रूसी सेना (Russia-Ukraine War) का हमला जारी है. गुरुवार को दोनों देशों की जंग का आठवां दिन है. इस बीच भारत मध्यमार्ग पर चल रहा है. बुधवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में एक प्रस्ताव रखा गया. इस प्रस्ताव में कहा गया कि रूस यूक्रेन से अपनी सेना हटा ले. वोटिंग के दौरान भारत ने अपना तटस्थ रुख अपनाया. भारत इस वोटिंग से दूर रहा. भारत का यह रूख अब टेंशन का कारण बन सकता है. Russia-Ukraine War: यूक्रेन में बंधक बनाए जा रहे भारतीय छात्र? जानें रूस के दावे पर विदेश मंत्रालय ने क्या कहा.

दरअसल पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर कई सारे आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं. जंग इसी तरह जारी रही तो रूस को आगे और कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में रूस पर लगे प्रतिबंध भारत को भी प्रभावित कर सकते हैं.

रूस के खिलाफ न जाने के कारण अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी देशों की तरफ से भारत पर दबाव बढ़ सकता है. ऐसे में अमेरिका भारत पर Caatsa Sanctions भी लगा सकता है. अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू (Donald Lu) ने कहा, 'बाइडेन प्रशासन यह देख रहा है कि Countering America's Adversaries Through Sanctions Act (CAATSA) के तहत रूस से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए भारत पर प्रतिबंधों को लागू किया जाए या नहीं.'

लू ने कहा कि बाइडेन प्रशासन ने अभी भारत पर CAATSA के तहत प्रतिबंध लगाने पर फैसला नहीं किया है. इस पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "मैं जो कह सकता हूं वह यह है कि भारत अब वास्तव में हमारा एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार है और हम उस साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं." बता दें कि अमेरिका ने CAATSA को अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध के लिए दंडात्मक अधिनियम के रूप में बनाया है.

भारत 2016 के बाद से रूसी हथियारों का सबसे बड़ा आयातक रहा है. ऐसे में रूस पर लगे प्रतिबंधों से भारत भी मुश्किलों से घिर सकता है. अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने कहा, "मेरा विचार है कि आने वाले महीनों और वर्षों में मॉस्को से प्रमुख हथियार प्रणालियों को खरीदना किसी के लिए भी बहुत कठिन होगा, क्योंकि प्रशासन ने कांग्रेस के समर्थन से व्यापक वित्तीय प्रतिबंध लगाए हैं ... मुझे लगता है कि भारत उन देशों में से एक है जो इसके बारे में चिंतित हैं.