अयोध्या विवाद मामले (Ayodhya verdict) पर सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद सरकार समेत सभी वर्ग के लोगों ने उसका स्वागत किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाए. वहीं सुन्नी वक्फ बोर्ड (The Sunni Waqf Board ) को वैकल्पिक तौर पर मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है. अदालत के इस फैसले के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) ने कहा कि फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और एक पुनर्विचार याचिका दायर करे या नहीं करने पर विचार करेंगे. वैसे तो सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक तरह से अंतिम माना जा सकता है. अगर पक्षकार संतुष्ट नहीं होता है तो वो पुनर्विचार याचिका (रिव्यू पिटीशन) डाल सकता है. इसके बाद कोर्ट फैसला करता है कि वो सुनवाई चेंबर में करें या फिर कोर्ट में.
वहीं फैसला सुनाये जाने के बाद हिंदू पक्ष के एक वरिष्ठ वकील ने पी.एस. नरसिम्हा ने कहा कि ऐतिहासिक गलती सुधार ली गई है. मस्जिद के निर्माण से पहले ही हिंदू राम जन्मभूमि पर पूजा कर रहे थे. और मस्जिद के निर्माण के बाद भी वे आज तक पूजा करते रहे. महान फैसला. ऐतिहासिक गलती सुधारी गई. अदालत के इस फैसले के बाद तमाम पार्टी के नेताओं ने सहमती जताई है और लोगों से अपील की है कि शांति बनाए रखें.
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क्या हैं क्यूरेटिव पिटीशन के नियम
यदि अदालत के फैसले के बाद पक्षकारों के पास क्यूरेटिव पिटीशन एक अंतिम विकल्प बचता है. क्यूरेटिव पिटीशन पुनर्विचार याचिका फाइल करने के कुछ नियम भी हैं. क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए भी 30 दिन का ही वक्त मिलता है. जिसे याचिकाकर्ता को मानना पड़ता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती को किस आधार पर याचिकाकर्ता दे रहा है उसे बताना पड़ता है.
इस दौरान याचिकाकर्ता को उन प्रमुख बिदुओं को चिन्हित करना पड़ता है जिसपर उन्हें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ध्यान देने की जरूरत है. तब क्यूरेटिव पिटीशन को वापिस उन्हीं जजों के पास भेज दिया जाता है. इस सुनवाई में वकीलों की दलीलें नहीं होती है, यहां केस की फाइलें और रिकार्ड होता है. जिसके उपर विचार किया जाता है.