Sitaare Zameen Par Review: दिल से बनी है आमिर खान की 'सितारे जमानी पर', इमोशन और मैसेज दोनों में पास!
Sitaare Zameen Par Review - Photo Credits: Aaamir Khan Production

Sitaare Zameen Par Review: 2007 में रिलीज़ हुई Taare Zameen Par सिर्फ एक फिल्म नहीं थी — वो एक आंदोलन थी जिसने शिक्षा प्रणाली, पेरेंटिंग और बच्चों की मानसिक स्वास्थ्य को लेकर पूरे समाज में बहस छेड़ दी थी. 18 साल बाद, आमिर खान उसी इमोशनल स्पेस में वापस लौटे हैं, इस बार Sitaare Zameen Par के ज़रिए. यह फिल्म उस क्लासिक की ‘स्प्रिचुअल सीक्वल’ कही जा रही है, लेकिन क्या यह उसी ऊंचाई को छू पाती है? क्या यह समाज की सोच को फिर से झकझोरती है? चलिए विस्तार से बात करते हैं.

आमिर खान इस बार ‘गुलशन’ नाम के बास्केटबॉल कोच के रोल में हैं — एक ऐसा कोच जो टैलेंटेड तो है लेकिन अपने गुस्से, ईगो और अतीत के बोझ से जूझ रहा है. एक हादसे के बाद कोर्ट द्वारा उसे इंटेलेक्चुअल डिसेबल बच्चों को तीन महीने तक बास्केटबॉल सिखाने की सजा मिलती है. शुरुआत में वो खुद को इस जिम्मेदारी के लायक नहीं समझता, लेकिन समय के साथ ये बच्चे उसकी ज़िंदगी बदल देते हैं — और वहीं से फिल्म का इमोशनल ग्राफ ऊपर चढ़ता है.

Sitaare Zameen Par, Aamir Khan Production (Photo Credits: Instagram)

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत:

फिल्म की जान हैं बच्चे — और ये बच्चे कोई पेशेवर एक्टर नहीं, बल्कि असल में इंटेलेक्चुअल डिसेबल बच्चे हैं. उनकी मासूमियत, उनका संघर्ष, और वो छोटे-छोटे पल जो दिल छू जाते हैं — यही इस फिल्म का सबसे सच्चा हिस्सा है. स्क्रिप्ट कुछ जगहों पर ढीली भले हो, लेकिन जब भी बच्चे स्क्रीन पर आते हैं, फिल्म जिंदा हो जाती है. फिल्म इस विषय पर बात करती है, जिससे समाज आम तौर पर मुंह फेर लेता है. आमिर खुद एक इंटरव्यू में कह चुके हैं — "मैंने देखा है, इन बच्चों को लोग बर्थडे पार्टी तक में नहीं बुलाते." और वाकई, फिल्म यही सवाल बड़े ही संवेदनशील ढंग से उठाती है — क्या हम इन्हें बराबरी से देखने के लिए तैयार हैं?

कमज़ोर कड़ियां भी हैं:

  • फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है. लगभग 20 मिनट की एडिटिंग फिल्म को और ज्यादा टाइट बना सकती थी.
  • डायरेक्शन और स्क्रीनप्ले में वो कसाव नहीं है जो Taare Zameen Par जैसे प्रोजेक्ट्स की पहचान हुआ करता था.
  • जेनेलिया डिसूजा का कैरेक्टर एक लाइट कॉमिक टच देने की कोशिश करता है, लेकिन फिल्म की टोन के साथ मेल नहीं खाता.
  • आमिर का परफॉर्मेंस भी इस बार थोड़ा सपाट सा लगता है.
  • हालांकि डॉली आहलूवालिया और ब्रिजेंद्र काल जैसे सपोर्टिंग एक्टर्स कम समय में भी अपने किरदारों में जान डालते हैं. इनकी मौजूदगी स्क्रीन पर विश्वसनीयता का एहसास कराती है.

    Nishit Show (Photo Credits: X)

स्पोर्ट्स एलिमेंट सिर्फ बैकड्रॉप है:

अगर आप सोच रहे हैं कि फिल्म एक और Dangal या Chak De! टाइप मोटिवेशनल स्पोर्ट्स ड्रामा है, तो ये गलतफहमी दूर कर लीजिए. Sitaare Zameen Par में बास्केटबॉल सिर्फ एक माध्यम है — असली कहानी बच्चों की ग्रोथ, समाज की सोच और एक टूटे इंसान के भीतर बदलते दृष्टिकोण की है.

Sitaare Zameen Par, Aamir Khan Talkies (Photo Credits: Youtube)

तकनीकी पक्ष और संगीत:

फिल्म का सिनेमैटोग्राफ़ी और प्रोडक्शन डिज़ाइन संतुलित है, लेकिन कुछ खास नहीं. बैकग्राउंड म्यूज़िक भावनात्मक दृश्यों में असर छोड़ता है. गाने याद रहने लायक नहीं हैं, जो कि आमिर की पिछली फिल्मों की तुलना में एक कमी मानी जा सकती है.

फिल्म का महत्व और संदेश:

इस फिल्म की सबसे बड़ी बात यह है कि ये 'बात करती है' — और वह भी एक ऐसे मुद्दे पर जिसे समाज अक्सर छिपा देता है. यह फिल्म सिर्फ एक कहानी नहीं है, बल्कि एक कोशिश है — समाज की सोच को थोड़ा सा बदलने की, या कम से कम सोचने पर मजबूर करने की.

निष्कर्ष:

Taare Zameen Par एक मास्टरपीस थी. Sitaare Zameen Par वैसी नहीं है. ये फिल्म अच्छी है, दिल को छूती है, लेकिन बार-बार झकझोरती नहीं. हां, अपने संदेश और सच्चाई के लिए यह एक बार देखी जानी चाहिए. अगर आप समाज से जुड़े मुद्दों को लेकर संवेदनशील हैं, और सिनेमा में सिर्फ एंटरटेनमेंट ही नहीं, एक सोच भी तलाशते हैं — तो Sitaare Zameen Par आपके लिए जरूरी फिल्म है. लेकिन अगर आप Taare Zameen Par जैसी ‘जादुई’ उम्मीद लेकर थिएटर जा रहे हैं — तो थोड़ा ठहर जाइए. तुलना न करें, बस महसूस करें.

Rating:3out of 5