Coat Movie Review: 'कोट' बिहार के एक छोटे से गांव में रहने वाले एक युवक की कहानी है, जो जातिवाद का शिकार है, पर उसकी एक धुन उसे ऐसे मुकाम पर पहुंचाती है कि युवाओं को उससे प्रेरणा मिलती है. अक्षय दित्ती द्वारा डायरेक्टेड इस फिल्म में संजय मिश्रा, विवान शाह, पूजा पांडे और सोनल झा प्रमुख भूमिकाओं में हैं. फिल्म को नसीरुद्दीन शाह ने नरेट किया है, उनका नरेशन फिल्म में जान फूंकने का काम करता है. फिल्म 4 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. Akeli Trailer: Nushrratt Bharuccha स्टारर 'अकेली' का दमदार ट्रेलर हुआ रिलीज, युद्धग्रस्त इराक में अकेली लड़की की संघर्ष भरी कहानी (Watch Video)
फिल्म की कहानी शुरु होती है माधव (Vivaan Shah) से, जो बिहार के एक छोटे से गांव में रहता है और निचली जाति का टैग भी उसे और उसके परिवार को मिला हुआ है. पेट को भरने के लिए परिवार को कड़ी मशक्कत और गंदगी साफ करने वाले काम करने पड़ते हैं. माधव के पैरेंट्स का किरदार संजय मिश्रा और सोनल झा ने निभाया है. माधव के पास खाने के तो पैसे नहीं है, पर साहब इश्क लड़ाने निकल पड़ते हैं. माधव को ब्राम्हण की बेटी साक्षी (Pooja Pandey) से प्यार हो जाता है. पर जातिवाद का शिकार होकर वह उसे भी खो देता है. एक दिन माधव गांव में एक अमीर व्यक्ति को कोट पहने देख लेता और बस उसे उसी वक्त से कोट का भूत सवार हो जाता है. जिसने कभी नए कपड़े नहीं पहने उसे कोट कैसे मिलेगा? यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
देखें ट्रेलर:
एक्टिंग की बात करें तो संजय मिश्रा तो हर किरदार में ढल जाते हैं, इस फिल्म में भी उन्होंने अपनी अदाकारी की छाप छोड़ी है और एक गांव के सामान्य आदमी का किरदार बाखूबी निभाया है. वहीं विवान शाह अपने किरदार में रमे हुए दिखे, उनकी एक्टिंग में काफी दम है, उन्होंने माधव को अपनी एक्टिंग से जीवित किया है. पूजा पांडे ने विवान की लव इंट्रेस्ट का किरदार निभाया है, उन्होंने भी अपने किरदार के साथ न्याय किया है. बाकी सपोर्टिंग कास्ट भी फिल्म को आगे लेकर जाती है.
म्यूजिक फिल्म का काफी साथ देता है, 'तसल्ली हो गई', 'दूरियां' गाने जहां आपको इमोशनल बनाते हैं वहीं 'सच करले सपना' जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. दिव्या कुमार से लेकर पलक मुच्छल और वरदान सिंह ने इस फिल्म में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है.
फिल्म का मुद्दा ताकतवर है, पर कहानी कहीं-कहीं पर कमजोर पड़ती दिखी है, जैसे माधव के व्यापार का काफी आसानी के साथ सेट हो जाना. साथ ही जातिवाद को और भी करीब से दिखाने की आवश्यक्ता थी, जिसे पानी में तेल की तरह तैरता हुआ दिखाया गया है, बहुत से संवाद अधूरे लगते हैं. बावजूद इसके फिल्म जातिवाद पर बोलती है और युवाओं को प्रेरणा देती है. साथ ही यह फिल्म कई सीन्स में बिहार के ग्रामीण इलाकों को जमीनी स्तर पर ले जाकर दिखाती है. आप इस फिल्म को बड़े पर्दे पर एक बार जरूर देख सकते हैं.