बॉलीवुड में ब्लॉकबस्टर फिल्मों के रीमेक का जुनून सवार रहा है लेकिन भारतीय सिनेमा को यादगार फिल्म शोले देने वाले फिल्म निमार्ता रमेश सिप्पी (Ramesh Sippy) ऐसा नहीं सोचते. वह 45 साल पहले बनी इस फिल्म का रीमेक बनाने के पक्ष में नहीं हैं. रमेश सिप्पी ने आईएएनएस को बताया, "मैं वास्तव में 'शोले' (Sholay) को दोबारा बनाने के लिए उत्सुक नहीं हूं जब तक कि कोई इसे बहुत अलग तरीके से प्रस्तुत करने के तरीके की कल्पना नहीं कर सकता. वरना मैं रीमेकिंग नहीं करना चाहूंगा. मैं रीमेकिंग के खिलाफ नहीं हूं , कुछ फिल्मों को खूबसूरती से बनाया गया है, लेकिन यह इतना आसान नहीं है. यह इस तरह है कि आप किसी विशेष फिल्म और शैली की पूरी दुनिया को फिर से बनाते हैं.
2007 में राम गोपाल वर्मा ने 'शोले' को दोबारा बनाने का प्रयास 'राम गोपाल वर्मा की आग' नाम से किया था और इसे पूरी तरह से नकार दिया गया था. फिल्म बॉक्स ऑफिस पर विफल रही थी.
सिप्पी की 'शोले' में अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, संजीव कुमार, हेमा मालिनी और जया बच्चन ने अभिनय किया था. फिल्म को मुख्य रूप से अमजद खान के शानदार अभिनय और संवादों के लिए याद किया जाता है, वे फिल्म में कट्टर खलनायक डकैत गब्बर सिंह बने हैं.
'शोले' की यादों को याद करते हुए सिप्पी ने कहा, "इतने सारे अभिनेताओं को एक साथ काम करने के लिए तैयार करने से लेकर हाई-ऑक्टेन एक्शन ²श्यों को शामिल करना और 70 मिमी स्क्रीन पर लोगों को पेश करना. कुल मिलाकर 'शोले' बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती थी. मुझे खुशी है कि हमारे प्रयास बेकार नहीं गए. लोगों ने हमारे साथ काम किया. लोग फिल्म की 45 बाद भी बात करते हैं उसकी सराहना करते हैं. इस तरह के उल्लेखनीय प्रोजेक्ट से जुड़ना बहुत अच्छा लगता है."
'शोले' के अलावा, सिप्पी ने बॉलीवुड की कई बड़ी फिल्मों जैसे 'अंदाज', 'सीता और गीता', 'शान', 'शक्ति' और 'सागर' बनाई. उन्हें अस्सी के दशक के उनके धारावाहिक 'बुनियाद' के लिए भी जाना जाता है, जो वर्तमान में दूरदर्शन पर कोरोनोवायरस लॉकडाउन के बीच फिर से प्रसारित किया जा रहा है. 73 वर्षीय शिप्पी स्वाभाविक रूप से इसे लेकर रोमांचित है.