विद्रोही समूहों द्वारा सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद असद की यह पहली टिप्पणी है।
असद ने ‘फेसबुक’ पर एक बयान में कहा कि आठ दिसंबर की सुबह जब विद्रोहियों ने राजधानी पर हमला किया तब उन्होंने दमिश्क छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि वे रूसी सहयोगियों के साथ समन्वय कर तटीय प्रांत लताकिया में रूसी आधार शिविर के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने लड़ाई जारी रखने की योजना बनाई।
असद ने कहा कि ड्रोन से रूसी आधार शिविर पर हमला होने के बाद रूसियों ने आठ दिसंबर की रात उन्हें रूस ले जाने का फैसला किया।
असद ने कहा, “मैंने किसी योजना के तहत देश नहीं छोड़ा जैसा कि पूर्व में बताया जा रहा था।”
उन्होंने कहा, “इन घटनाओं के दौरान किसी भी समय मैंने पद छोड़ने या शरण लेने के बारे में नहीं सोचा और न ही किसी व्यक्ति या पार्टी द्वारा ऐसा कोई प्रस्ताव रखा गया था। कार्रवाई का एकमात्र तरीका आतंकवादी हमले के खिलाफ लड़ाई जारी रखना था।”
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