अमेरिका में रह रहे धर्मगुरु ने वैश्विक सामाजिक आंदोलन को प्रेरित किया था।
गुलेन से संबंधित ‘टूडेज़ जमां’ अखबार के पूर्व संपादक अब्दुल्ला बुजकुर्त ने कहा कि उन्होंने गुलेन के भतीजे कमाल गुलेन से बातचीत की है और उन्होंने फतेहुल्ला गुलेन के निधन की पुष्टि की है। फतेहुल्ला गुलेन की उम्र 83 साल थी और वह लंबे वक्त से बीमार थे।
तुर्किये की सरकारी समाचार एजेंसी ‘अनादोलू’ की खबर के मुताबिक, विदेश मंत्री हाकन फिदन ने कहा है कि तुर्किये की खुफिया एजेंसियों ने फतेहुल्ला गुलेन के निधन की पुष्टि की है।
गुलेन ने अपनी जिंदगी का अंतिम दशक स्व-निर्वासन में बिताया और वह पेंसिल्वेनिया के पोकोनो माउंटेन में रह रहे थे। वह इसी स्थान से तुर्किये और दुनियाभर के अपने लाखों अनुयायियों के संपर्क में रहते थे।
उन्होंने एक ऐसे दर्शन का समर्थन किया जिसमें ‘सूफीवाद’ को लोकतंत्र, शिक्षा, विज्ञान और अंतर-धार्मिक संवाद की दृढ़ वकालत के साथ मिश्रित किया गया।
गुलेन शुरू में तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयप एर्दोआन के सहयोगी हुआ करते थे लेकिन बाद में वे दुश्मन बन गए। उन्होंने एर्दोआन को सत्ता हासिल करने और असहमति को कुचलने पर आमादा एक तानाशाह करार दिया था।
वहीं, एर्दोआन ने उन्हें आतंकवादी करार दिया था और आरोप लगाया था कि वह 15 जुलाई 2016 की रात को हुई सैन्य तख्तापलट की कोशिश के मास्टमाइंड थे। हालांकि गुलेन ने इन आरोपों का खंडन किया था।
एपी
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