Breast Cancer: नया मशीन लर्निंग आधारित टूल ब्रेस्ट कैंसर का जल्दी पता लगाने में 98 प्रतिशत प्रभावी; अध्ययन
breast cancer (img: pixabay)

नई दिल्ली, 15 दिसंबर : ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने में मशीन लर्निंग आधारित स्क्रीनिंग पद्धति कारगर साबित हो सकती है. एक अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित की गई यह तेज, गैर-आक्रामक तकनीक लेजर विश्लेषण को मशीन लर्निंग के साथ जोड़ती है. यह ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती चरण में मरीजों की पहचान करने वाली अपनी तरह की पहली तकनीक है. शोधकर्ताओं ने कहा कि यह तकनीक कई प्रकार के कैंसर के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट का रास्ता खोल सकती है.

यह तकनीक बीमारी के शुरुआती चरण (जिसे चरण 1ए कहा जाता है) के दौरान रक्त प्रवाह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगा सकती है, जो मौजूदा परीक्षणों से पता नहीं चल पाते हैं. फिजिकल एग्जामिनेशन, एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड स्कैन, या ब्रेस्ट टिश्यू के नमूने का विश्लेषण (जिसे बायोप्सी के रूप में जाना जाता है) ब्रेस्ट कैंसर के लिए वर्तमान में उपलब्ध मानक परीक्षण (स्टैंडर्ड टेस्ट) हैं. ये लोगों की आयु के आधार पर या उनके जोखिम वाले समूहों में होने के आधार पर उनकी जांच करते हैं. यह भी पढ़ें : आखिर बंदर क्यों नहीं जानता अदरक का स्वाद? आयुर्वेद ने इसे बताया है गुणों की खान

जर्नल ऑफ बायो फोटोनिक्स में प्रकाशित मूल अध्ययन में ब्रेस्ट कैंसर मरीजों और 12 स्वस्थ नियंत्रण समूहों के 12 नमूने शामिल थे. अध्ययन में टीम ने रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी नामक लेजर विश्लेषण तकनीक को अनुकूलित किया तथा उसे मशीन लर्निंग के साथ जोड़ा. टीम ब्रेस्ट कैंसर का पता स्टेज 1ए में 98 प्रतिशत प्रभावशीलता के साथ लगा सकी.

यह सबसे पहले मरीजों से लिए गए रक्त प्लाज्मा में लेजर बीम फ्लैश किया गया. स्पेक्ट्रोमीटर डिवाइस का उपयोग करते हुए, टीम ने रक्त के साथ प्रकाश के संपर्क के बाद उसके गुणों का विश्लेषण किया. स्पेक्ट्रोमीटर ने कोशिकाओं और ऊतकों की रासायनिक संरचना में छोटे-छोटे बदलावों का पता लगाया, जो बीमारी के शुरुआती संकेत हैं.

मशीन लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग करके, चिकित्सक परिणामों की व्याख्या कर सकते हैं. इस नए दृष्टिकोण का उपयोग करके, टीम 90 प्रतिशत से अधिक की सटीकता के साथ चार मुख्य ब्रेस्ट कैंसर उपप्रकारों में से प्रत्येक के बीच अंतर भी कर सकती है. टीम ने कहा कि इससे मरीजों को अधिक प्रभावी, व्यक्तिगत उपचार प्राप्त करने में मदद मिली.