दक्षिण कोरिया की संसद ने शनिवार को राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित कर दिया है. यह फैसला उनके विवादित 3 दिसंबर के मार्शल लॉ के ऐलान के बाद लिया गया है.
204 सांसदों द्वारा पारित इस प्रस्ताव के बाद राष्ट्रपति यून को उनके पद से निलंबित कर दिया गया है. अब देश की संवैधानिक अदालत यह निर्णय करेगी कि उन्हें स्थायी रूप से हटाया जाए या नहीं. इस दौरान प्रधानमंत्री हान डक-सू, जिन्हें यून ने नियुक्त किया था, कार्यवाहक राष्ट्रपति का पद संभालेंगे ताकि सरकार की स्थिरता बनी रहे.
आर्थिक और कूटनीतिक स्थिरता पर जोर
संसद के अध्यक्ष किम जिन-प्यो ने इस राजनीतिक संकट के बीच देश की आर्थिक और विदेशी नीतियों को स्थिर बनाए रखने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "हमें इस महत्वपूर्ण समय में अर्थव्यवस्था और विदेशी संबंधों को स्थिर करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए."
संवैधानिक अदालत पर नजरें
किम जिन-प्यो ने संवैधानिक अदालत में जल्द से जल्द जजों की नियुक्ति की आवश्यकता पर भी बल दिया, ताकि महाभियोग प्रस्ताव पर समयबद्ध निर्णय लिया जा सके. अदालत का फैसला आने वाले हफ्तों में देश के राजनीतिक भविष्य को तय करेगा.
इस महाभियोग ने दक्षिण कोरिया की लोकतांत्रिक व्यवस्था और शासन पर व्यापक बहस छेड़ दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम देश की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है.