WEF 2025: वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को बनाए रखने के लिए डब्ल्यूएचओ की भूमिका महत्वपूर्ण; अदार पूनावाला
Adar Poonawala (img: tw)

नई दिल्ली, 23 जनवरी : सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के प्रमुख अदार पूनावाला ने गुरुवार को कहा कि वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों को सुचारू रूप से बनाए रखने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण है. उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने हाल ही में इस संगठन से खुद को अलग कर लिया है.

दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) 2025 में मीडिया को दिए साक्षात्कार में पूनावाला ने कहा कि डब्ल्यूएचओ दवाओं और टीकों पर वैश्विक मानकों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अलावा, संगठन परीक्षण, अनुसंधान और निगरानी में भी योगदान देता है. यह भी पढ़ें : बमन ईरानी के निर्देशन में बनी पहली फिल्म ‘द मेहता ब्वॉयज’ प्राइम वीडियो पर फरवरी में आएगी

पूनावाला ने कहा, "डब्ल्यूएचओ दवाओं और टीकों के लिए वैश्विक मानकों को बनाए रखता है और वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों, परीक्षण, अनुसंधान और निगरानी को बनाए रखने के लिए आवश्यक है."

उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नेतृत्व वाले प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग बंद कर दी है. अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने के तुरंत बाद ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ से अमेरिका को अलग करने के आदेश पर हस्ताक्षर किए. इसमें कहा गया कि डब्ल्यूएचओ ने कोविड महामारी को ठीक से नहीं संभाला और अमेरिका से चीन जैसे बड़े देशों की तुलना में भारी धनराशि प्राप्त की.

अमेरिका लंबे समय से डब्ल्यूएचओ के मिशन में सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है, जिसने 2022 और 2023 में 1.28 बिलियन डॉलर का योगदान दिया. इसके बाद सबसे अधिक योगदान जर्मनी का 400 मिलियन डॉलर रहा.

पूनावाला ने अन्य देशों से आगे आकर डब्ल्यूएचओ की फंडिंग करने की अपील की, ताकि अमेरिका के हटने से एजेंसी को धन की कमी का सामना न करना पड़े.

"हम यहां नेताओं और अन्य लोगों से उस अंतर को पाटने के लिए आगे आने का आह्वान कर रहे हैं, ऐसे अनेेक देश हैं, जो ऐसा कर सकते हैं और 500 मिलियन डॉलर उन देशों के लिए बहुत बड़ी राशि नहीं है, जो इसमें योगदान दे सकें." उन्होंने यह भी बताया कि कैसे एसआईआई विशेष रूप से गरीब देशों में टीके उपलब्ध कराकर मलेरिया की चुनौती से निपट रहा है.

सीईओ ने कहा कि एसआईआई " टीके उपलब्ध कराकर अफ्रीका के देशों में मलेरिया को कम करने की कोशिश कर रहा है", साथ ही उन्होंने विभिन्न अन्य बीमारियों के लिए किफायती समाधान विकसित करने के लिए सरकारों और निजी संस्थाओं के बीच सहयोग का आह्वान किया.

उन्होंने कहा, "हमारी क्षमता और साझेदारी के साथ, हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि इन टीकों की ज़रूरत वाले हर व्यक्ति को ये टीके मिल सकें." पूनावाला ने कहा कि विश्व स्तर पर तमाम प्रयासों के बावजूद मलेरिया एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य खतरा बना हुआ है, खासकर अफ्रीकी क्षेत्र में.

2023 में, दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 263 मिलियन मामले सामने आए और 597,000 लोगों की मौतें हुईं. 2022 की तुलना में 2023 में लगभग 11 मिलियन अधिक मामले आए और मौतें लगभग उतनी ही हुईं. पूनावाला ने कहा कि एसआईआई अफ्रीकी देशों को R21/मैट्रिक्स-एम मलेरिया वैक्सीन भेज रहा है, जिसकी प्रभावकारिता 77 प्रतिशत है.