कोलकाता, 29 दिसंबर ओडिशा के सिमिलिपाल बाघ अभ्यारण्य (एसटीआर) से भटक कर पश्चिम बंगाल के बांकुरा पहुंची बाघिन 'जीनत' को रविवार दोपहर को बेहोश करने वाली दवा देकर पकड़ लिया गया। मुख्य वन्यजीव वार्डन देबल रॉय ने यह जानकारी दी।
बाघिन के एसटीआर छोड़ने के बाद दोनों राज्यों के वन्यजीव अधिकारी एक सप्ताह से अधिक समय तक चिंता में थे।
रॉय ने बताया कि बाघिन को शाम 4:09 बजे बेहोश कर दिया गया। उसे बेहोश करने के पिछले प्रयास विफल हो गए थे।
उन्होंने बताया कि अस्थायी आवास तय करने से पहले जानवर की जांच की जाएगी।
उन्होंने कहा, "रविवार सुबह बेहोशी की दवा का इस्तेमाल किए जाने के बावजूद पिछले प्रयास के दौरान जीनत को बेहोश नहीं किया जा सका था। पशु चिकित्सकों की अनुमति मिलने के बाद दोपहर में अभियान फिर से शुरू किया गया।"
उन्होंने बताया कि शनिवार रात से बाघिन बांकुरा जिले के गोपालपुर जंगल में थी जहां उसे जाल से घेर दिया गया था।
रॉय ने कहा, "रात 1:20 बजे बाघिन को सबसे पहले बेहोशी की दवा दी गयी, लेकिन बार-बार दवा देने के बावजूद वह बेहोश नहीं हो सकी।"
रॉय ने बताया कि अभियान सुबह 4:30 बजे रोक दिया गया क्योंकि बेहोशी की अधिकतम दवा दी जा चुकी थी। बाघिन के आराम करने और शांत होने के बाद अभियान फिर से शुरू किया गया और दोपहर में उसे सफलतापूर्वक बेहोश कर दिया गया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाघिन को सफलतापूर्वक पकड़ने के लिए राज्य वन विभाग के अधिकारियों को बधाई दी और इसे एक "उल्लेखनीय प्रयास" बताया।
उन्होंने बांकुरा जिला प्रशासन, पुलिस, पंचायत सदस्यों और स्थानीय लोगों को भी जानवर को पकड़ने के प्रयासों में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।
बनर्जी ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, "जीनत नामक बाघिन को सफलतापूर्वक बचाने के लिए पश्चिम बंगाल के वन अधिकारियों को मेरी हार्दिक बधाई। इस उल्लेखनीय प्रयास में अमूल्य समर्थन और सहयोग के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, पंचायत पदाधिकारियों और स्थानीय लोगों के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता।"
उन्होंने कहा, "यह बचाव वन्यजीव संरक्षण के प्रति टीमवर्क और समर्पण का एक शानदार उदाहरण है। आपके संयुक्त प्रयासों ने न केवल एक शानदार प्राणी को बचाया है जो अपने निवास स्थान से बाहर भटक गयी थी, बल्कि हमारी प्राकृतिक विरासत की रक्षा के महत्व पर भी बल दिया। आपके उत्कृष्ट कार्य के लिए धन्यवाद!"
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