कोलकाता, आठ नवंबर चाय उद्योग ने उपभोक्ताओं को सुरक्षित और उपयुक्त पेय सुनिश्चित करने के लिए शुक्रवार को चाय की गुणवत्ता में सुधार के ऊपर जोर दिया जो इसकी खपत को बढ़ाने में भी सहायक होगा।
भारतीय चाय संघ (आईटीए) की वार्षिक आम बैठक (एजीएम) को संबोधित करते हुए इसके चेयरमैन हेमंत बांगुर ने कहा कि उत्पादित चाय की गुणवत्ता और सुरक्षा पर उद्योग का ध्यान जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘कीटनाशकों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में सभी संबंधित लोगों के बीच जागरूकता का बढ़ता स्तर उद्योग के लिए शुभ संकेत है। असम, पश्चिम बंगाल की राज्य सरकारें और चाय बोर्ड बेहतर अनुपालन के पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने में सक्रिय रहे हैं।’’
बांगुर ने कहा कि उत्पादकों का निकाय बागान संघों की परामर्शदात्री समिति (सीसीपीए) अखिल भारतीय स्तर पर खुदरा दुकानों से प्राप्त चाय का परीक्षण कर रही है।
बांगुर ने कहा कि इन प्रगतिशील कदमों से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में गुणवत्ता, अनुपालन और खपत को बढ़ाने में मदद मिलेगी, जबकि टिकाऊ चाय के उत्पादन को सशक्त किया जाएगा।
उद्योग के सामने आने वाली चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में छोटे चाय उत्पादकों (एसटीजी) और खरीदी गई पत्ती कारखानों (बीएलएफ) की वृद्धि के साथ उत्पादन संरचना में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है।
बीएलएफ का अर्थ ऐसा चाय कारखाना है जो चाय उत्पादन के प्रयोजन के लिए किसी कैलेंडर वर्ष के दौरान चाय पत्ती की जरूरत का कम से कम दो-तिहाई भाग अन्य चाय उत्पादकों से प्राप्त करता है।
एसटीजी कुल उत्पादन में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहे हैं।
इस संदर्भ में, बांगुर ने कहा कि संगठित चाय उद्योग को समान अवसर की आवश्यकता है क्योंकि लागत संरचना में व्यापक अंतर के साथ उत्पादन में दो वर्टिकल मौजूद हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)