देश की खबरें | वाहनों के पीयूसी मानदंडों और ‘थर्ड पार्टी’ बीमा के लिए सही संतुलन बनाना होगा: न्यायालय

नयी दिल्ली, 13 मई उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि प्रथम दृष्टया यह सुनिश्चित करने के लिए सही संतुलन बनाना होगा कि वाहन प्रदूषण नियंत्रण (पीयूसी) मानदंडों के अनुरूप रहें और साथ ही उनका ‘थर्ड पार्टी’ बीमा भी हो।

न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी शीर्ष अदालत के 10 अगस्त, 2017 के आदेश में संशोधन का आग्रह करने वाले एक आवेदन पर सुनवाई करते हुए की।

संबंधित आदेश में कहा गया था कि बीमा कंपनियां किसी वाहन का बीमा तब तक नहीं करेंगी जब तक कि वाहन धारक के पास बीमा पॉलिसी के नवीनीकरण के दिन वैध पीयूसी प्रमाणपत्र न हो।

सामान्य बीमा परिषद की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 146 और 147 के तहत ‘थर्ड पार्टी’ बीमा कराना अनिवार्य है।

मेहता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने अगस्त 2017 में कहा था कि जब तक पीयूसी प्रमाणपत्र नहीं होगा, बीमा कंपनियां ‘थर्ड पार्टी’ बीमा नहीं देंगी।

उन्होंने कहा, "क्या हुआ है, पीयूसी के अभाव में, हमारे सर्वेक्षण के अनुसार 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं।"

मेहता ने कहा कि भारत सरकार द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, 55 प्रतिशत वाहन बिना बीमा के हैं और इसका अर्थ है कि यदि उनसे कोई दुर्घटना होती है तो पीड़ित को मुआवजा नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा कि पीयूसी मानदंडों का अनुपालन किया जाना चाहिए और यथासंभव सख्त मानदंड लागू किए जाने चाहिए, उदाहरण के लिए यदि वाहन का पीयूसी नहीं है, तो पेट्रोल न दिया जाए।

प्रदूषण मामले में न्याय मित्र के रूप में शीर्ष अदालत की सहायता कर रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कहा कि इस मुद्दे को विशेषज्ञ निकाय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को भेजा जा सकता है।

पीठ ने कहा, ''दोनों के बीच संतुलन बनाना होगा।'' इसने कहा, "एक तो प्रदूषण नियंत्रण होना चाहिए और दूसरा, अगर इतने सारे वाहन बिना ‘थर्ड पार्टी’ बीमा के रहेंगे तो दुर्घटना की स्थिति में गंभीर समस्या होगी।"

मेहता ने कहा कि हो सकता है कि किसी दुर्घटना की स्थिति में अदालती आदेश के बावजूद वाहन मालिक के पास भुगतान करने के लिए पैसे न हों, जबकि बीमा के मामले में कंपनी इसके लिए बाध्य होती है।

पीठ ने कहा कि मेहता ने बताया है कि अदालत के अगस्त 2017 के निर्देश के मद्देनजर, बड़ी संख्या में वाहन ‘थर्ड पार्टी’ बीमा नहीं ले रहे हैं और दुर्घटनाओं की स्थिति में दावेदारों को मुआवजा मिलना मुश्किल हो रहा है।

इसने कहा, "प्रथम दृष्टया, हमारा विचार है कि यह सुनिश्चित करने के लिए सही संतुलन बनाना होगा कि वाहन पीयूसी मानदंडों के अनुरूप रहें, लेकिन साथ ही, सभी वाहनों का ‘थर्ड पार्टी’ बीमा भी होना चाहिए।"

पीठ ने मेहता और न्याय मित्र को समाधान निकालने की अनुमति दे दी ताकि अगस्त 2017 के आदेश में उचित संशोधन किया जा सके।

न्यायालय ने आवेदन को 15 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया और मेहता तथा न्याय मित्र दोनों को अगली तारीख से पहले सुझाव देने को कहा।

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