कोरोना महामारी का बच्चों की जिंदगी पर बड़ा असर पड़ा है. इससे उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों प्रभावित हो रहे हैं. राज्य में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक दलों के घोषणापत्र में बच्चों के मुद्दे शामिल किए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी है. बच्चों के अधिकारों की पैरवी करने वाली गैर सरकारी संस्था चाइल्ड राइट अब्जर्वेटरी और यूनिसेफ ने बच्चों के संदर्भ में घोषणापत्र तैयार किया है. यह घोषणापत्र सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को भेजकर उनसे अपने चुनावी घोषणापत्र में बच्चों के मुद्दों को शामिल करने का आग्रह किया गया है.
सीआरओ की अध्यक्ष निर्मला बुच और यूनिसेफ द्वारा राजनीतिक दलों को लिखे गए पत्र के साथ बच्चों की समस्याओं को लेकर तैयार किए गए घोषणापत्र की प्रति भी भेजी है. राजनीतिक दलों से आग्रह किया गया है कि वे बच्चों के मुद्दों को अपने घोषणापत्र में शामिल करते हुए इस बात का जिक्र करें कि सत्ता में आने पर बच्चों से चर्चा कर वैकल्पिक अध्यापन की व्यवस्था की जाएगी.
वर्तमान ऑनलाइन व्यवस्था लंबे समय तक नहीं चलाई जा सकती, क्योंकि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई समझ में नहीं आती. ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बहुत सारे बच्चों के पास स्मार्टफोन नहीं है, गांव में इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं, घंटों तक ऑनलाइन कक्षा में पढ़ने से आंखों में दर्द होता है और पढ़ाई में परेशानी होती है.
बच्चों के घोषणापत्र में कहा गया है कि राजनीतिक दल वादा करें कि सत्ता में आने पर वे सभी स्कूलों को सैनिटाइज करने और मास्को उपलब्ध कराने की व्यवस्था शासन की ओर से करवाएंगे. सभी स्कूलों में खेलने की सामग्री तुरंत उपलब्ध कराई जाएगी, स्कूलों में बाउंड्री वाल, बिजली, पीने के पानी और लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. साथ ही जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं है, वहां स्कूल खोले जाने से पहले शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी, शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य नहीं कराए जाएंगे, स्कूलों में पठन-पाठन सामग्री की व्यवस्था तत्काल की जाएगी और शिक्षण कार्य में गुणवत्ता लाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
राजनीतिक दलों से मांग की गई है कि वे अपने घोषणापत्र में वर्तमान समय में कोरोना के कारण बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर आ रही समस्याओं के समाधान का भी जिक्र करें. यह वादा करें कि बच्चों के लिए काउंसलिंग की तत्काल व्यवस्था की जाएगी, बच्चों की काउंसलिंग की व्यवस्था वर्तमान में नहीं है जो कि जरूरी है, इसे प्राथमिकता से करेंगे. इसे संस्थागत रूप में लाने का भी प्रयास करेंगे. इसके अलावा कोरोना के कारण टीकाकरण कार्यक्रम प्रभावित हुआ है, इसे प्रभावी ढंग से संचालित किया जाएगा. कोरोना काल में जिन बच्चों का टीकाकरण नहीं हो पाया है, उनका टीकाकरण प्राथमिकता से किया जाएगा.