![देश की खबरें | कोविड-19 : आईआईटी-भुवनेश्वर के अध्ययन ने दो गज की दूरी, मास्क के प्रभाव की पुष्टि की देश की खबरें | कोविड-19 : आईआईटी-भुवनेश्वर के अध्ययन ने दो गज की दूरी, मास्क के प्रभाव की पुष्टि की](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2020/04/india_default_img-380x214.jpg)
भुवनेश्वर, एक दिसंबर कोविड-19 के प्रसार को रोकने में दो गज की दूरी के नियम के महत्व को स्थापित करते हुए आईआईटी भुवनेश्वर ने एक अध्ययन में पाया है कि मास्क जैसी एहतियात के बिना छींक के दौरान निकली पानी की छोटी-छोटी बूंदें 25 फुट की दूरी तक जा सकती हैं, यहां तक कि बेहद सूक्ष्म कण मास्क से भी बाहर निकल सकते हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि मास्क और फेस-शील्ड जैसे उपकरण प्रभावी तरीके से ऐसे लीकेज को कम करते हैं और छींक के प्रभाव को एक से तीन फुट के बीच सीमित कर सकते हैं। उसमें कहा गया है, हालांकि ये भी बेहद सूक्ष्म कणों के लीकेज को नहीं रोक सकते। इसलिए दो गज की दूरी के नियम का पालन महत्वपूर्ण है।
आईआईटी भुवनेश्वर द्वारा जारी बयान के अनुसार, अध्ययन में कहा गया है कि मास्क और फेस-शील्ड लगाने के बावजूद छींकने के वक्त नाक को हाथ यह कोहनी से ढंकें ताकि अति सूक्ष्म बूंदें लीक होने से बचें।
यह रेखांकित करते हुए कि वायरस को फैलने से रोकना बड़ी चुनौती बना हुआ है, अध्ययन में छींक के दौरान मानक और गैर-मानक मास्कों के प्रभाव को परखा गया है।
स्कूल ऑफ मकैनिकल साइंस के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर वेणुगोपाल अरुमुरु और उनकी टीम द्वारा किए गए इस अध्ययन से इसकी पुष्टि होती है कि एहतियाती उपकरणों जैसे मास्क आदि के बगैर छींक के दौरान निकली छोटी-छोटी बूंदें सामान्य वातावरण में 25 फुट की दूरी तक जा सकती हैं।
अध्ययन संक्रमण से बचने के लिए सभी ओर से छह फुट की दूरी बनाए रखने की सलाह देता है और इसके प्रभाव की पुष्टि करता है।
आईआईटी भुवनेश्वर के निदेशक प्रोफेसर आर. वी. राजा कुमार ने कहा कि संस्था के संकाय सदस्य और छात्र कोविड-19 महामारी के दौरान अथक परिश्रम कर रहे हैं और नई तकनीक विकसित करने के अलावा संबंधित मुद्दों पर अध्ययन भी कर रहे हैं।
वर्तमान सामाजिक सरोकार के मुद्दे पर अध्ययन करने के लिए टीम को बधाई देते हुए प्रोफेसर कुमार ने कहा कि यह अध्ययन भी इसी दिशा में एक प्रयास है।
उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि सभी जानते हैं, कोविड-19 छींकने, खांसने और बोलने के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली पानी की सूक्ष्म बूंदों के कारण फैलता है। यह अध्ययन दिखाता है कि कैसे एहतियाती उपकरणों से ये सूक्ष्म कण लीक हो सकते हैं। इस अध्ययन में दो गज की दूरी का महत्व स्पष्ट है।’’
यह अध्ययन के निष्कर्ष से ना सिर्फ लोगों में जागरुकता आएगी बल्कि अनुसंधानकर्ता मास्क के नए डिजाइनों के बारे में भी सोचेंगे।
कुमार ने कहा, ‘‘मैं दोहराना चाहूंगा कि आईआईटी-भुवनेश्वर के अनुसंधानकर्ता कोविड-19 से जुड़े अध्ययन जारी रखेंगे और इस महामारी के लड़ने के लिए विकास कार्य करेंगे।’’
विज्ञप्ति में यB5%E0%A4%B0+%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AF%E0%A4%A8+%E0%A4%A8%E0%A5%87+%E0%A4%A6%E0%A5%8B+%E0%A4%97%E0%A4%9C+%E0%A4%95%E0%A5%80+%E0%A4%A6%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%80%2C+%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95+%E0%A4%95%E0%A5%87+%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B5+%E0%A4%95%E0%A5%80+%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%BF+%E0%A4%95%E0%A5%80+https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fagency-news%2Fkovid-19-iit-bhubaneswar-study-confirms-effect-of-mask-two-yards-r-728289.html&link=https%3A%2F%2Fhindi.latestly.com%2Fagency-news%2Fkovid-19-iit-bhubaneswar-study-confirms-effect-of-mask-two-yards-r-728289.html&language=hi&handle=LatestLY&utm_source=Koo&utm_campaign=Social', 650, 420);" title="Share on Koo">