इटली में लॉकडाउन में ढील के बाद वायरस को लेकर गड़बड़ियों पर होगा अध्ययन
कोरोना वायरस (Photo Credits: Unsplash)

इटली यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है और अमेरिका के बाद सबसे अधिक इसी देश में 26 हजार लोगों की इस घातक वायरस से मौत हुई है. इटली में सबसे पहले यह मामला 21 फरवरी को सामने आया और उस समय विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात पर जोर दे रहा था कि वायरस पर ‘‘नियंत्रण किया जा सकता है.’’ हालांकि, इस बात के भी साक्ष्य हैं कि जनसांख्यिकी और स्वास्थ्य सेवाओं में कमियों के साथ ही राजनीतिक एवं व्यावसायिक हितों के कारण लोम्बार्डी की एक करोड़ आबादी प्रभावित हुई और सबसे ज्यादा दुखद स्थिति नर्सिंग होम में देखी गई.

विषाणु विज्ञानी और महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि वहां क्या गड़बड़ियां हुईं, इसका अध्ययन वर्षों तक होगा और वायरस ने किस तरह चिकित्सा व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया, जिसे यूरोप में सबसे बेहतर व्यवस्था माना जाता है. पड़ोस के वेनेटो में वायरस अपेक्षाकृत नियंत्रण में रहा. अभियोजक इस बात पर विचार कर रहे हैं कि विभिन्न नर्सिंग होम में सैकड़ों लोगों की मौत के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए. मरने वाले कई लोगों को लोम्बार्डी के आधिकारिक मौत के आंकड़े 13,269 में शामिल नहीं किया गया.

यह भी पढ़ें- इटली में चार मई को लॉकडाउन पाबंदियों में ढील

वहीं, लोम्बार्डी के अग्रिम पंक्ति के चिकित्सकों और नर्सों की काफी तनाव, थकान, भय के बीच अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर रोगियों का उपचार करने के लिए नायक के तौर पर प्रशंसा की जा रही है. इटली में अपने ही देश में उत्पन्न पहला मामला दर्ज किये जाने के बावजूद, चिकित्सक इस बात को नहीं समझ पाए कि कोविड-19 किस असामान्य तरीके से फैल जाएगा, जहां कुछ रोगियों को सांस में तेजी से दिक्कत आने लगी.

वायरस से बुरी तरह प्रभावित क्रीमोना के सैन कैमिलो निजी क्लीनिक के चिकित्सक डॉ. मॉरिजियो मारविसी ने बताया, ‘‘हमारे पास यह क्लीनिकल सूचना नहीं थी.’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)