नयी दिल्ली, 1 फरवरी: स्वदेशी रूप से विकसित ‘हरित’ प्रणोदन प्रणाली ने एक प्रमुख मिशन के तहत लॉन्च किए गए पेलोड पर ‘इन-ऑर्बिट’ कार्यक्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है. रक्षा मंत्रालय ने इसे अंतरिक्ष रक्षा तकनीकी क्षेत्र में एक ‘‘बड़ी छलांग" बताया है. प्रणोदन प्रणाली को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) योजना के तहत विकसित किया गया है.
मंत्रालय ने कहा कि इस नयी तकनीक के चलते ‘लो ऑर्बिट स्पेस’ के लिए गैर नुकसानदेह और पर्यावरण-अनुकूल प्रणोदन प्रणाली तैयार हुई है. इस प्रणाली में स्वदेशी रूप से विकसित ‘प्रोपेलेंट, फिल और ड्रेन वाल्व, लैच वाल्व, सोलेनॉइड वाल्व, कैटलिस्ट बेड, ड्राइव इलेक्ट्रॉनिक्स’ शामिल हैं. यह हाई थ्रस्ट आवश्यकताओं वाले अंतरिक्ष मिशन के लिए आदर्श है.
मंत्रालय ने कहा, ‘‘इसने पीएसएलवी सी-58 मिशन द्वारा लॉन्च किए गए पेलोड पर कक्षा में कार्यक्षमता का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया है. एल्टीट्यूड कंट्रोल और माइक्रो सैटेलाइट को कक्षा में रखने के लिए '1एन क्लास ग्रीन मोनोप्रोपेलेंट थ्रस्टर' नाम के इस प्रोजेक्ट को बेंगलुरु स्थित स्टार्ट-अप बेलाट्रिक्स एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड (विकास एजेंसी) को दिया गया था.’’
इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी), बेंगलुरु में पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल (पीओईएम) से टेलीमेट्री डेटा को ग्राउंड लेवल सॉल्यूशन के साथ मान्यता दी गई है और इसने सभी प्रदर्शन मापदंडों से अधिक प्रदर्शन किया है. डीआरडीओ के प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग एंड मेंटरिंग ग्रुप के मार्गदर्शन में विकास एजेंसी द्वारा परियोजना को पूरा किया गया है.
टीडीएफ रक्षा मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे रक्षा और एयरोस्पेस, विशेषकर स्टार्ट-अप और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) में नवोन्मेष के वित्तपोषण के लिए ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत डीआरडीओ द्वारा क्रियान्वित किया जाता है.
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