लखनऊ, 20 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस ने एक फर्जी अंतरराष्ट्रीय कॉल सेंटर का भंडाफोड़ कर 12 कथित साइबर जालसाजों को गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा रविवार को जारी एक बयान के मुताबिक, शनिवार को पुलिस ने एक सूचना पर पीजीआई थाना क्षेत्र स्थित वृंदावन योजना के सेक्टर-18 में एवरेस्ट एन्क्लेव के एक फ्लैट पर छापा मारा और वहां काम कर रहे 12 साइबर जालसाजों को गिरफ्तार कर लिया. बयान के मुताबिक, पुलिस ने छापेमारी के दौरान 11 लैपटॉप, लैपटॉप चार्जर, एक टैबलेट, दो वाई-फाई यूनिट, दो राउटर, पांच हेडफोन, और 17 मोबाइल फोन सहित बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए.
बयान के अनुसार, पकड़े गये साइबर अपराधी विदेशी नागरिकों, खासतौर से अमेरिका और कनाडा के बाशिंदों को निशाना बनाते थे.इसमें कहा गया है कि वे अपने शिकार लोगों के लैपटॉप कम्प्यूटर सिस्टम में जानबूझकर त्रुटियां या ‘बग’ भेजते थे, जिससे ‘पॉप-अप’ संदेश दिखाई देते थे. बयान के मुताबिक, प्रभावित व्यक्ति द्वारा समस्या हल करने की कोशिश करने पर जालसाज तकनीकी सहायता एजेंट बनकर उनसे संपर्क करते थे. इसमें कहा गया है कि कंप्यूटर की समस्या हल करने की आड़ में साइबर जालसाज पीड़ितों के कम्प्यूटर सिस्टम तक पहुंच बना लेते थे और फिर वे लोगों को अपने लैपटॉप या कम्प्यूटर सिस्टम की परेशानी दूर करने के लिये भुगतान करने को मजबूर करते थे. यह भी पढ़ें : तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल की छह विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की
पकड़े गये लोगों में चंदन उर्फ रिक्की (कानपुर), मोहन श्याम शर्मा (भरतपुर, राजस्थान), उत्कर्ष गोल्ड स्मिथ (लखनऊ), नीरज कुमार (रायबरेली), करण सिंह (लखनऊ), तरुण गुप्ता (संत कबीर नगर), नीरज पांडेय (दिल्ली), सिद्धार्थ कश्यप (गोंडा), ऋतुराज गुप्ता (लखनऊ), सोमनाथ सिंह (बहराइच), विराट कुमार (चंदौली) और राम जनक (बस्ती) शामिल हैं. उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता तथा आईटी अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है. बयान में कहा गया है कि सभी आरोपियों का आपराधिक इतिहास पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है.