नयी दिल्ली, दो दिसंबर ईडी ने दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से संबंधित धन शोधन के एक मामले में आप विधायक अमानतुल्लाह खान के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने और उन्हें रिहा करने से इनकार करने के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से मामले में निचली अदालत द्वारा पारित विभिन्न आदेशों को प्रस्तुत करने को कहा। न्यायमूर्ति ओहरी ने कहा, ‘‘मंजूरी का मुद्दा आपके सामने है। आपको पहले इसे मुझे दिखाना होगा। आपको इस मुद्दे (मंजूरी के) पर ठोस रुख अपनाना होगा, न कि इसे अपनी याचिका में आधार के रूप में उल्लेख करना होगा, क्योंकि इस पर विवाद होगा।’’
हाल में निचली अदालत ने खान के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत धन शोधन के कथित अपराध का संज्ञान लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए जरूरी मंजूरी नहीं मिली थी।
मामले की सुनवाई 13 जनवरी, 2025 को होगी।
ईडी के वकील ने पूर्व में दलील दी थी कि अभियोजन पक्ष की शिकायत पर गौर करने के बाद निचली अदालत ने खान के खिलाफ मामला आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार दर्ज किए, लेकिन अदालत ने कहा कि उन्हें समन करने से पहले यह पता लगाना होगा कि क्या उनके खिलाफ मंजूरी के अभाव में इसका संज्ञान लिया जा सकता है।
उन्होंने उच्चतम न्यायालय के एक निर्णय का हवाला देते हुए दलील दी कि मंजूरी न मिलने की कमी को सुधारा जा सकता है और अभियोजन पक्ष को इसका अनुरोध करने की अनुमति दी जा सकती है। निचली अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोपी को हिरासत में आगे भी रखने को उचित ठहराने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
ईडी ने 29 अक्टूबर को 110 पन्नों की प्रथम अनुपूरक अभियोजन शिकायत (जो आरोपपत्र के समतुल्य है) दाखिल की, जिसमें आरोप लगाया गया कि खान ने धन शोधन किया है, जो कथित तौर पर दिल्ली वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित किया गया था।
खान को दो सितंबर को ईडी ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था, जिसने दिल्ली के ओखला इलाके में उनके घर की तलाशी ली थी। आप विधायक पर जांच एजेंसी द्वारा पूछताछ से ‘‘बचने’’ का आरोप लगाया गया था।
उनके खिलाफ धन शोधन की जांच दो प्राथमिकियों पर आधारित है। इनमें वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं के संबंध में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का मामला और दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई द्वारा दर्ज कथित आय से अधिक संपत्ति का मामला है।
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