Gauri Tapo Vrat 2024: गौरी तपो व्रत! मनपसंद पति के लिए रखा जानेवाला कुंवारी कन्याओं का इकलौता व्रत! जानें इसका महात्म्य, मंत्र एवं पूजा-विधान

सनातन धर्म में पति की अच्छी सेहत तथा दीर्घायु के लिए तमाम व्रत पत्नियों द्वारा रखे जाते हैं, लेकिन गौरी तपो व्रत एकमात्र व्रत है, जिसे कुंवारी कन्याएं ‘मनपसंद जीवन साथी’ के लिए रखती हैं. इस दिन देवी गौरी यानी माँ पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा का विधान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने पहली बार यह व्रत रखा था. मान्यता है कि इस व्रत को करने से कुंवारी कन्या को मनपसंद जीवन साथी प्राप्त होता है. आइये जानते हैं, इस व्रत के महात्म्य, मुहूर्त एवं पूजा विधि आदि के बारे में...

गौरी तपो व्रत का महात्म्य

सुयोग्य वर के लिए कुंवारी कन्याओं द्वारा रखा जाने वाला यह सबसे महत्वपूर्ण व्रत है. सनातन किंवंदंतियों के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सबसे पहले यह व्रत रखा था. इसके बाद लंबे समय तक कठोर तपस्या भी उन्हें करनी पड़ी, तब जाकर भगवान शिव उन पर प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकारा. मान्यता है कि जो भी कुंवारी कन्या यह व्रत रखती है और पूरी निष्ठा के साथ व्रत एवं पूजा करती है, देवी पार्वती उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती है.

गौरी तपो व्रत मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त: 05.08 AM से 06.02 AM तक

अभिजीत मुहूर्त: 11.49 AM से 12.31 PM तक

गौरी तपो अनुष्ठान के नियम

इस दिन अविवाहित युवतियां ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान कर माता पार्वती का ध्यान करें. मंदिर के सामने एक चौकी रखें, इस पर पीला कपड़ा बिछाएं. भगवान शिव एवं देवी पार्वती की प्रतिमा रखें. शुभ मुहूर्त के अनुरूप देवी पार्वती पर गंगाजल छिड़क कर प्रतीकात्मक स्नान कराएं. धूप-दीप प्रज्वलित करें. निम्न मंत्र का जाप करें.

‘कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।‘

अब लाल पुष्प, कुमकुम, अक्षत, फूल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं. माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीज़ें अर्पित करें. अब पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें. इस दिन उपवास के दरमियान शुद्ध घी, गेहूं के आटे और दूध से बने व्यंजन एवं फलों का सेवन करें. इस दिन एक गमले में मक्का का पौधा उगाने का भी विधान है. बहुत सी जगहों पर मकई के अंकुरों को परिवार के सदस्यों में वितरित कर दिया जाता है.