नयी दिल्ली, दो दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा मामले में पांच व्यक्तियों को गैर इरादतन हत्या और गैर कानूनी तरीके से एकत्र होने का दोषी करार दिया।
इस घटना में, भीड़ ने एक व्यक्ति की बर्बरता से हत्या कर दी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला सात आरोपियों के खिलाफ दयालपुर पुलिस थाने में दर्ज मामले की सुनवाई कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस की ओर से विशेष लोक अभियोजक मधुकर पांडे अदालत में पेश हुए।
अदालत ने गत शनिवार को दिये 63 पन्नों के अपने फैसले में,उसके समक्ष मौजूद सबूतों पर गौर किया और कहा कि यह स्थापित हो गया है कि घातक हथियारों से लैस एक दंगाई भीड़ ने 25 फरवरी 2020 को चांद बाग इलाके में पीर बाबा मजार के पास मोहसिन की हत्या की थी।
अदालत ने कहा, ‘‘मामले में विवाद की मुख्य वजह इस सवाल के इर्द-गिर्द है कि क्या आरोपी व्यक्ति दंगाइयों में शामिल थे, जिन्होंने मोहसिन पर बर्बरता से हमला किया जिससे उसकी मौत हो गई?’’
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष के चार गवाहों की गवाही में कोई संदेह नहीं है कि पांच आरोपी - अरुण, अमन कश्यप, आशीष, प्रदीप राय और देवेंद्र कुमार - उस दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, जिसने मोहसिन पर हमला किया था।
अदालत ने कहा कि लेकिन विशेष रूप से यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि इन पांच आरोपियों ने मोहसिन पर हमला किया था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘पीड़ित के सिर पर चोट पहुंचाने के लिए इन पांच आरोपियों में से किसी की विशेष भूमिका के अभाव में, मुझे लगता है कि उनका अपराध गैर इरादतन हत्या तक सीमित है।’’
न्यायाधीश ने दो अन्य आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि यह साबित नहीं हुआ कि कृष्ण कांत और राहुल भारद्वाज दंगाई भीड़ का हिस्सा थे, ना ही यह स्थापित हुआ कि उनके पास से मृतक का मोबाइल फोन बरामद हुआ था।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि (पांच) आरोपी व्यक्ति आईपीसी की धारा 148 (दंगा करना, घातक हथियारों से लैस होना) और धारा 304 (1) (गैर इरादतन हत्या) के तहत दंडनीय अपराध के दोषी हैं।’’
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