ताजा खबरें | विपक्षी सदस्यों के निलंबन पर राज्यसभा में गतिरोध जारी, कार्यवाही दिन भर रही बाधित

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर राज्यसभा में 12 सदस्यों को संसद के शीतकालीन सत्र के लिए निंलबित किए जाने के मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच बृहस्पतिवार को भी गतिरोध कायम रहा। इन सदस्यों का निलंबन समाप्त करने की मांग पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजकर करीब पांच मिनट दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

सत्ता पक्ष इस रुख पर कायम है कि निलंबित सदस्यों के ‘‘अशोभनीय आचरण’’ के लिए विपक्ष के नेताओं को माफी मांगनी चाहिए तभी उनके निलंबन को वापस लेने के बारे में विचार किया जा सकता है।

हंगामे के कारण उच्च सदन में आज 10 मिनट भी कामकाज नहीं हो सका और शून्यकाल व प्रश्नकाल भी बाधित हुआ।

पहली बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, उपसभापति हरिवंश ने कोविड-19 के ओमीक्रोन स्वरूप के कारण उत्पन्न स्थिति पर चर्चा को जारी रखने के लिए भारतीय जनता पार्टी के जफर इस्लाम का नाम पुकारा।

जफर ने अपनी बात शुरू ही की थी कि कांग्रेस सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों ने 12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा उठाते हुए हंगामा आरंभ कर दिया।

इस दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने हाथ में तख्तियां पकड़ी हुई थी और वह निलंबन वापस करने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे भी लगा रहे थे।

हरिवंश ने हंगामा कर रहे सदस्यों से बार-बार अनुरोध किया कि वह सदन में व्यवस्था बनाएं रखें और चर्चा होने दें।

उन्होंने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने कोरोना और महंगाई के मुद्दे पर चर्चा मांगी थी और जब चर्चा हो रही है तो वे व्यवधान पैदा कर रहे हैं और अन्य सदस्यों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों ही विषय महत्वपूर्ण हैं। देश इन विषयों के बारे में जानना ओर सुनना चाहता है।’’

भाजपा सदस्य जफर ने ने भी हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से व्यवस्था बनाने की अपील की। उन्होंने बुधवार को अपने भाषण की शुरुआत की थी लेकिन हंगामे के कारण अपनी बात पूरी नहीं कर सके थे।

जब सदस्यों ने हरिवंश की अपील पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।

ज्ञात हो कि संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्यों को, मॉनसून सत्र के दौरान ‘‘अशोभनीय आचरण’’ करने के कारण, इस सत्र की शेष अवधि के लिए उच्च सदन से निलंबित कर दिया गया था।

जिन सदस्यों को निलंबित किया गया है, उनमें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम शामिल हैं।

विपक्ष इन सदस्यों का निलंबन वापस लेने की मांग कर रहा है जबकि सरकार अड़ी है कि जब तक यह सदस्य माफी नहीं मांगेंगे तब तक उनका निलंबन रद्द नहीं किया जाएगा। इसी वजह से सदन में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध बना हुआ है और कार्यवाही बार-बार बाधित हो रही है।

इससे पहले, सुबह उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। उन्होंने सूचित किया कि कुछ सदस्यों की ओर से उन्हें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए नियत कामकाज स्थगित करने के अनुरोध वाले नोटिस मिले हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया है।

इसके बाद उन्होंने शून्यकाल शुरू करने को कहा। इसी बीच विपक्षी सदस्यों ने 12 सदस्यों का निलंबन रद्द किए जाने की मांग करते हुए हंगामा शुरू कर दिया। विपक्ष के कुछ सदस्यों ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ को बर्खास्त करने की मांग भी उठाई।

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