कोलकाता, 19 सितंबर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अधिकतर मांगें मान लिए जाने के बाद आंदोलनकारी कनिष्ठ चिकित्सकों ने घोषणा की है कि वे शनिवार से अपना आंदोलन ‘‘आंशिक रूप से’’ खत्म करके राज्य द्वारा संचालित अस्पतालों में आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में लौटेंगे।
आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में नौ अगस्त को महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद पिछले 41 दिनों से काम से दूर चिकित्सकों ने घोषणा की है कि वे शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन के बाहर अपना धरना समाप्त कर देंगे।
धरना समाप्त करने से पहले वे राज्य स्वास्थ्य विभाग मुख्यालय स्वास्थ्य भवन से साल्ट लेक क्षेत्र में सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित सीबीआई कार्यालय तक एक मार्च निकालेंगे।
एक आंदोलनकारी चिकित्सक ने अपनी आम सभा की बैठक के बाद कहा, ‘‘यह निर्णय लिया गया है कि पश्चिम बंगाल में बाढ़ की स्थिति और राज्य सरकार द्वारा हमारी कुछ मांगों पर सहमति जताए जाने के मद्देनजर हम शनिवार से आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में आंशिक रूप से काम पर लौटेंगे। हम काम बंद करने का अपना फैसला आंशिक रूप से वापस ले रहे हैं।’’
आंदोलनकारी चिकित्सकों ने कहा कि वे बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में काम नहीं करेंगे, लेकिन आपातकालीन और आवश्यक सेवाओं में आंशिक रूप से काम करेंगे।
चिकित्सकों ने कहा, ‘‘सीबीआई कार्यालय तक मार्च के बाद हम शुक्रवार को स्वास्थ्य भवन के बाहर अपना धरना खत्म करेंगे। हम पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा अपने सभी वादों को लागू करने के लिए एक सप्ताह तक इंतजार करेंगे और अगर वे पूरे नहीं हुए तो हम ‘काम बंद’ अभियान फिर शुरू कर देंगे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि न्याय के लिए उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
यह निर्णय राज्य सरकार द्वारा अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में सुरक्षा के संबंध में कई निर्देश जारी करने के बाद लिया गया है। चिकित्सकों ने कहा, ‘‘हम शुक्रवार को सीबीआई कार्यालय तक मार्च करने के बाद स्वास्थ्य भवन के बाहर अपना धरना वापस ले लेंगे।’’
विरोध प्रदर्शन के 41वें दिन कनिष्ठ चिकित्सकों ने कहा, ‘‘हमने अपने आंदोलन के दौरान बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन कई चीजें अभी भी हासिल नहीं हुई हैं।’’
चिकित्सकों ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदर्शन के कारण कोलकाता के पुलिस आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा निदेशक (डीएमई) और स्वास्थ्य सेवा निदेशक (डीएचएस) को पद से हटा दिया गया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ‘‘आंदोलन खत्म हो गया है।’’
आंदोलनकारी चिकित्सकों ने यह भी घोषणा की कि वे पश्चिम बंगाल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की मदद के लिए ‘अभया क्लीनिक’ चलाएंगे। चिकित्सकों ने कहा, ‘‘बाढ़ की स्थिति है और यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन लोगों का समर्थन करें जो हमारे साथ खड़े हैं। अगर वे किसी आपदा का सामना कर रहे हैं, तो हमें उनकी मदद के लिए वहां होना चाहिए। हम अपने अस्पतालों में लौट आएंगे और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में अभया क्लीनिक भी चलाएंगे।’’
पश्चिम बंगाल सरकार ने स्वास्थ्य पेशेवरों की सुरक्षा और कुशल कामकाज पर निर्देशों की एक सूची जारी करते हुए कहा कि इन्हें तुरंत लागू करने की जरूरत है।
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