देश की खबरें | भारत में शहरी अपशिष्ट जल का 72 प्रतिशत बिना शोधन बहाया जा रहा : रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर भारत में उत्पन्न शहरी अपशिष्ट जल और सीवेज का मात्र 28 प्रतिशत पानी ही शोधित किया जाता है, जबकि शेष जल सीधे नदियों, झीलों और भूमि में प्रवाहित हो जाता है। यह जानकारी थिंकटैंक ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट’ की एक रिपोर्ट से मिली है।

सोमवार को यहां जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि सभी अपशिष्ट जल को उपचारित कर पुनः उपयोग में लाया जाए तो भारत का शहरी जल संकट कम हो सकता है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने कहा, “शोधित जल की क्षमता का दोहन किए बिना उसका उपयोग और निपटान करने का मतलब है कि हम एक महत्वपूर्ण संसाधन का उपयोग करने से चूक रहे हैं। चुनौती यह है कि हम इस क्षेत्र में जो काम कर रहे हैं, उसका दायरा बढ़ाएं और सुनिश्चित करें कि उसका प्रभाव हो।”

सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि भारत तेजी से हो रहे शहरीकरण, औद्योगिक विकास, जनसंख्या विस्तार और सबसे महत्वपूर्ण जलवायु परिवर्तन के कारण जल संकट की गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है।

उन्होंने कहा, “अपशिष्ट जल का पुनः उपयोग इन चिंताओं को दूर करने तथा जल चक्रीयता और स्थिरता को बढ़ावा देने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है।”

नारायण ने कहा, “वास्तव में, अपशिष्ट जल को पुनः उपयोग लायक बनाने का एक अवसर है और हमारी रिपोर्ट का शीर्षक - ‘वेस्ट टू वर्थ’- इसी का उल्लेख करती है।”

जल शक्ति मंत्रालय ने आदेश दिया है कि शहर अपने अपशिष्ट जल का कम से कम 20 प्रतिशत पुनः उपयोग करें।

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