भारत के बाहर थाईलैंड में आज भी है राम राज्य! जहां का राष्ट्रीय ग्रंथ है रामायण, जानें चक्री वंश का इतिहास

भारत के बाहर थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य की अवधारणा जीवित है. इस देश में भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट "भूमिबल अतुल्य तेज" शासन कर रहे हैं, जिन्हें नौवां राम कहा जाता है. यह इतिहास और संस्कृति से जुड़ा एक रोचक विषय है, जो न केवल राम के आदर्शों को जीवित रखता है, बल्कि भारत और थाईलैंड के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को भी उजागर करता है.

भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास

भगवान राम का इतिहास भारतीय उपमहाद्वीप की धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा है. रामायण, जो महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित है, न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है बल्कि एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है. वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड के सर्ग 70, 71 और 73 में राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का उल्लेख मिलता है.

राम का जन्म अयोध्या के राजा दशरथ और रानी कौशल्या के घर हुआ था. राम के साथ उनके तीन भाई लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न भी थे. सीता के साथ राम का विवाह मिथिला के राजा जनक की बेटी सीता से हुआ, जो कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भ में महत्वपूर्ण घटना है.

राम के समय में भारत में कई राज्य थे, जो विभिन्न शासकों द्वारा शासित थे. भगवान राम के पुत्र लव और कुश ने विभिन्न क्षेत्रों में राज्य स्थापित किए थे. कुश को पूर्वी क्षेत्र में राज्य मिला, और यही से थाईलैंड के राजाओं का संबंध जुड़ा हुआ है.

थाईलैंड में राम का वंश और चक्री वंश

थाईलैंड का शाही परिवार भगवान राम के वंशज होने का दावा करता है. थाईलैंड के राजा को भगवान राम का अवतार और विष्णु का रूप माना जाता है. कुश के वंशजों को चक्री वंश के नाम से जाना जाता है, और इस वंश के सभी राजाओं को "राम" की उपाधि दी जाती है. वर्तमान समय में सम्राट भूमिबल अतुल्य तेज, जिन्हें नौवां राम कहा जाता है, थाईलैंड के राजा हैं.

चक्री वंश की शुरुआत 1782 में हुई थी, जब राजा राम प्रथम ने इस वंश की नींव रखी. राजा राम प्रथम के बाद से यह वंश लगातार सत्ता में रहा है, और वर्तमान समय में भी थाईलैंड के लोग अपने राजा को भगवान राम का वंशज मानते हैं.

थाईलैंड की अयोध्या

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक का नाम संस्कृत शब्दों से लिया गया है और इसका पूरा नाम दुनिया का सबसे लंबा नाम माना जाता है. बैंकॉक का सरकारी नाम है: "क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि". यह नाम संस्कृत और थाई भाषा का मिश्रण है और यह शहर की ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता को दर्शाता है.

थाईलैंड की अयोध्या का मतलब है "इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या", जो भगवान राम के अयोध्या शहर के समकक्ष है. थाईलैंड के शाही परिवार के सभी राजा इसी अयोध्या में रहते हैं और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है.

थाईलैंड में राम राज्य की अवधारणा

थाईलैंड में बौद्ध धर्म के पालनकर्ता बहुसंख्यक हैं, लेकिन इसके बावजूद राम का वंश वहां की संस्कृति में गहरे तौर पर समाया हुआ है. थाईलैंड के लोग अपने राजा को विष्णु का अवतार मानते हैं और उनके सम्मान में विशेष सम्मान दिखाते हैं. थाईलैंड में संवैधानिक लोकतंत्र की स्थापना 1932 में हुई, लेकिन राजा का सम्मान और पूजा आज भी बेहद महत्वपूर्ण है.

थाई शाही परिवार के सदस्यों के प्रति जनता का आदर इतना बड़ा होता है कि उनके सामने खड़ा होना और सीधा खड़ा होना गलत माना जाता है. लोग झुक कर खड़े होते हैं और उनका सम्मान करते हैं. थाईलैंड की शाही परिवार की एक सदस्य, जो हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं, को भी विशेष धार्मिक सम्मान प्राप्त है.

रामायण: थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रंथ

थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में स्वीकार किया गया है. थाई भाषा में इसे "राम-कियेन" कहा जाता है, जो "राम-कीर्ति" का प्रतीक है. यह ग्रंथ वाल्मीकि रामायण पर आधारित है और इसमें राम के जीवन की घटनाओं का विवरण मिलता है.

राम-कियेन की मूल प्रति सन 1767 में नष्ट हो गई थी, लेकिन थाईलैंड के राजा राम प्रथम ने अपनी स्मरण शक्ति से इसे पुनः लिखा और इसे एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में प्रस्तुत किया. राम-कियेन में प्रमुख पात्रों के नाम राम, लक्ष्मण, बाली, सुग्रीव, अंगद, रावण, विभीषण, हनुमान और अन्य देवताओं और राक्षसों के नाम शामिल हैं.

थाईलैंड में राम-कियेन पर आधारित नाटक और कठपुतली शो देखना एक धार्मिक कार्य माना जाता है और ये प्रदर्शन पूरे देश में होते हैं.

थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह: गरुड़

थाईलैंड का राष्ट्रीय चिन्ह गरुड़ है, जो विष्णु का वाहन है. गरुड़ एक बड़ा पक्षी है, जिसे ब्राह्मणी पक्षी के नाम से भी जाना जाता है. यह पक्षी थाईलैंड के धार्मिक प्रतीकों में गहरा जुड़ा हुआ है, क्योंकि भगवान राम को विष्णु का अवतार माना जाता है. गरुड़ को राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में स्वीकार किया गया है और इसे थाईलैंड के शाही परिवार और संसद के सामने भी प्रतिष्ठित किया गया है.

थाईलैंड का सुवर्ण भूमि हवाई अड्डा

थाईलैंड के सुवर्ण भूमि हवाई अड्डे का नाम भी विशेष है, क्योंकि यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े हवाई अड्डे के रूप में जाना जाता है. इस हवाई अड्डे के स्वागत हॉल में समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है, जो हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा से प्रेरित है. समुद्र मंथन की कथा में देवता और असुरों ने मिलकर अमृत निकालने के लिए समुद्र का मंथन किया था, और यही दृश्य इस हवाई अड्डे में दर्शाया गया है.

थाईलैंड में राम राज्य की अवधारणा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत और थाईलैंड के सांस्कृतिक रिश्तों को भी प्रकट करती है. भगवान राम के वंशजों द्वारा शासन किए जाने का यह सिद्धांत आज भी जीवित है, और थाईलैंड की संस्कृति में राम के आदर्शों का पालन किया जाता है. यह दिखाता है कि भगवान राम का प्रभाव केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उनके आदर्शों और वंशजों का सम्मान आज भी विभिन्न देशों में किया जा रहा है.