286 लड़कियों को सेक्स के लिए किया ब्लैकमेल, पालतू जानवरों से बनवाए संबंध, वीडियो यूट्यूब पर किया लाइव

हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की एक अदालत ने मुहम्मद ज़ैन उल अबिदीन राशिद नाम के अपराधी को 17 साल की सज़ा सुनाई है. राशिद ने खुद को एक प्रसिद्ध किशोर यूट्यूबर के रूप में पेश कर 286 से अधिक लड़कियों को सेक्स करने के लिए ब्लैकमेल किया. इस मामले को इतिहास के सबसे भयानक "सेक्टॉर्शन" मामलों में से एक माना जा रहा है.

मामले की शुरुआत और ब्लैकमेलिंग का सिलसिला

राशिद ने अपनी पहचान छिपाने के लिए एक 15 वर्षीय अमेरिकी इंटरनेट स्टार का रूप धारण किया. उसने सोशल मीडिया पर विभिन्न देशों की किशोर लड़कियों से संपर्क किया, जिसमें अमेरिका, जापान, यूके और फ्रांस जैसी जगहों की लड़कियां शामिल थीं. वह धीरे-धीरे इन लड़कियों को यौन कल्पनाओं पर चर्चा करने के लिए प्रेरित करता था और फिर उनसे प्राप्त संदेशों-वीडियो का इस्तेमाल उन्हें ब्लैकमेल करने के लिए करता था.

राशिद ने इन लड़कियों को धमकाया कि अगर उन्होंने उसकी बात नहीं मानी तो वह उनके आपत्तिजनक फोटो को उनके परिवार और दोस्तों के पास भेज देगा. इसी धमकी के बल पर उसने इन लड़कियों को सेक्स करने के लिए मजबूर किया. इन कृत्यों में परिवार के पालतू जानवरों और घर में उपस्थित अन्य बच्चों का भी शोषण किया गया.

लाइव स्ट्रीमिंग और विकृति

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि राशिद ने इन अपमानजनक कृत्यों की लाइव स्ट्रीमिंग भी की. एक घटना में उसने 98 लोगों को इस लाइव स्ट्रीमिंग में शामिल किया. राशिद ऑनलाइन "इनसेल" समुदायों का भी सदस्य था, जो महिलाओं के प्रति नफरत फैलाते हैं.

कानूनी कार्रवाई और सज़ा

ऑस्ट्रेलियाई संघीय पुलिस के सहायक आयुक्त डेविड मैकलीन ने इस मामले को "ऑस्ट्रेलिया में अब तक का सबसे भयानक ऑनलाइन शोषण मामला" बताया है. अदालत ने सुना कि राशिद का यौन अपराधियों के उपचार कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बावजूद, वह अब भी पुनः अपराध करने का उच्च जोखिम रखता है.

अदालत ने राशिद को 17 साल की सज़ा सुनाई, जिसके तहत उसे अगस्त 2033 में पैरोल के लिए आवेदन करने की अनुमति होगी. इससे पहले वह एक 14 वर्षीय लड़की का यौन शोषण करने के आरोप में पांच साल की सज़ा काट रहा था.

यह मामला दिखाता है कि किस प्रकार सोशल मीडिया और इंटरनेट का दुरुपयोग करके निर्दोष किशोरियों का शोषण किया जा सकता है. यह जरूरी है कि माता-पिता और समाज ऐसे खतरों से सतर्क रहें और बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में जागरूक करें.